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मोदी सरकार के पास न सोच है, न सार, न विचार है और न दृष्टि : कांग्रेस

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 28 2020 6:31PM | Updated Date: May 28 2020 6:32PM
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चंडीगढ़। पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल ने नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के एक साल को शून्यकाल करार देते हुए सोशल मीडिया पर ‘जीरो आवर‘ नाम के अभियान की शुरुआत की है। बंसल ने आज यहां जारी बयान में आरोप लगाया कि देश में हर जगह लोगों का जीवन आज शून्य दिखाई दे रहा है और सरकार की कार्यप्रणाली सिर्फ दो नारों -अच्छे दिन और आत्मनिर्भर- की ही बात रह गई है। उन्होंने कहा कि पिछले लगभग तीन वर्षो से देश की अर्थव्यवस्था बिगड़ती जा रही थी अब उसके पाँव में छाले पड़े हैं और वह अस्पताल के बिस्तर पर है।
 
कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार के पास न सोच है, न सार, न विचार है और न दृष्टि। कोविड-19 के बाद अर्थ संकट से निबटने के लिए मोदी सरकार के घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के स्टिम्यूलस के संदर्भ में उन्होंने कहा कि बहुत बड़े दावे किये गए लेकिन निकला कुछ भी नहीं और मजदूर, किसान, बेरोजगार और मध्यमवर्ग समेत किसी के लिए कोई राहत या सामाजिक सुरक्षा का प्रावधान नहीं किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि लॉकडाऊन के कारण बने हालात से निपटने के लिए नकदी सहायता पहुंचाये जाने की आवश्यकता क्योंकि मनरेगा के तहत  7 करोड़ 65 लाख सक्रिय कार्ड धारकों को सौ दिन का तो क्या 20 दिन का भी काम नहीं मिला।
 
बंसल ने कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 11 फीसदी परिवार वंचित श्रेणी से बाहर हैं यानि 89 फीसदी परिवारों को वास्तविक अर्थों में सहायता की जरूरत है, केवल पांच किलोग्राम अनाज व एक किलो दाल पर्याप्त नहीं। उन्होंने कहा कि नवंबर 2016 की नोटबंदी, जुलाई 2017 की वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और अब चार घंटे के नोटिस पर लोकबंदी (लॉकडाउन) प्रधानमंत्री के मनमाने फैसले देश के लिये नुकसानदायक ही साबित हुए हैं।     
 
उन्होंने कहा कि उस पर सरकार आत्मनिर्भर, लोकल-वोकल के बड़े-बड़े सन्देश और नसीहत तो देती है लेकिन  दूसरी तरफ विदेशी निवेश को बढ़ावा देने का ऐलान भी करती है। रक्षा निर्माण क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा ऑटोमेटिक रूट के जरिए 49% से बढ़ाकर 74%, अंतरिक्ष में शोध निजी कंपनियों के हवाले, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो की सुविधाओं का प्रयोग भी निजी कंपनियां के हवाले किया जा रहा है और इसके अलावा देश की जीवन रेखा भारतीय रेल के निजीकरण की भी शुरुआत कर दी गई है।
 
बंसल ने लॉकडाऊन की आड़ में श्रम कानूनों को कमजोर करने की भी आलोचना की और कहा कि जम्मू कश्मीर में दस महीने बाद भी संवैधानिक का हनन जारी है और स्थानीय नेता नजरबंद हैं। उन्होंने कहा कि नागरिकता कानून को बदलने से देश में अफरातफरी फैली और इससे देश को कोई भी लाभ नहीं मिला।
 
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