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मजदूर बदहाली: ‘सुप्रीम’ संज्ञान के बाद सुरजेवाला की हस्तक्षेप याचिका

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 27 2020 2:46PM | Updated Date: May 27 2020 2:47PM
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नई दिल्ली। देशभर में जगह-जगह फंसे प्रवासी मजदूरों की बदहाली का उच्चतम न्यायालय द्वारा स्वत: संज्ञान लेते हुए केन्द्र सरकार, सभी राज्य सरकारों और केन्द्र शासित प्रदेशों को मंगलवार को नोटिस जारी किये जाने के एक दिन बाद कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने मामले में हस्तक्षेप याचिका दायर की। कांग्रेस नेता की ओर से वकील सुनील फर्नांडीस ने वादकालीन याचिका (आईए) दायर करके कहा है कि कोरोना वायरस ‘कोविड 19’ को लेकर कांग्रेस पार्टी की कोर कमेटी का सदस्य होने के नाते प्रवासी मजदूरों की बदहाली पर उन्होने व्यापक सर्वेक्षण किया है। राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण संसद का सत्र नहीं चल रहा है, इसलिए वह इन मामलों को फिलहाल संसद में उठा नहीं सकते। इसी वजह से वह सारे तथ्य न्यायालय के समक्ष रखना चाहते हैं।
 
गौरतलब है कि प्रवासी मजदूरों की समस्याओं को लेकर गत सोमवार को 20 वरिष्ठ वकीलों ने शीर्ष अदालत को खत लिखकर कहा था कि सरकार ने प्रवासी श्रमिकों के पलायन के बारे में न्यायालय को विरोधाभासी और गलत जानकारी दी है। इस खत के बाद प्रवासियों के मसले पर न्यायालय ने कल स्वत: संज्ञान लिया था और न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की खंडपीठ ने केंद्र सरकार, राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया था।
 
यह खत वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम के अलावा आनंद ग्रोवर, इंदिरा जयसिंह, मोहन कातार्की, सिद्धार्थ लूथरा, संतोष पॉल, कपिल सिब्बल, चंदर उदय सिंह, विकास सिंह और प्रशांत भूषण सहित 20 वकीलों ने लिखा था। इन वकीलों में बॉम्बे उच्च न्यायालय के वकील भी शामिल थे। खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के लिए 28 मई की तारीख मुकर्रर करते हुए कल कहा था कि अपने घरों को वापस पहुंचने के लिए देश की सड़कों पर पैदल चल रहे मजदूरों को मदद की जरूरत है।
 
केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों के इंतजाम नाकाफी हैं, जिसके लिए उन्हें जवाब देना होगा। न्यायालय ने कहा था कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा ऐसे मजदूरों और उनके परिजनों को उनके घर तक पहुंचाने तक मुफ्त यात्रा, आश्रय और भोजन की सुविधा प्रदान करने के लिए तत्काल उपाय किए जाने की आवश्यकता है।
 
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