20 Apr 2024, 01:33:34 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
news » National

सरकार की अदूरदर्शी नीतियों के कारण हुआ मजदूरों का पलायन : मनोज झा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 24 2020 2:28PM | Updated Date: May 24 2020 2:29PM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

नई दिल्ली। राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा ने कहा है कि सरकार की अदूरदर्शी नीतियों के कारण  ही कोरोना महामारी की वजह से प्रवासी मजदूरों का पलायन हुआ और इनमें से करीब 90 प्रतिशत लोग पिछड़ी जातियों के  है। झा ने ‘राजपाल एंड सन्स’ द्वारा ‘कोरोना पलायन और जाति’ विषय पर आयोजित  व्याख्यान में कहा कि इस पलायन को देखते हुए हमें अपने देश के विकास के मॉडल में प्रवासी मजदूरों की भूमिका पर एक बार फिर से विचार करना होगा और उन्हें इस विकास में उनकी हिस्सेदारी देनी होगी। 
 
दिल्ली विश्वविद्यालय में सोशल वर्क के प्रोफेसर झा ने कहा कि  जब लॉक डाउन की घोषणा हुई तो  प्रधानमंत्री नरेंद्र  मोदी ही नहीं बल्कि हम सब भी इस बात को समझ नहीं पाए थे कि कोरोना महामारी के कारण इतनी बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर पलायन कर जाएंगे। उन्होंने कहा कि पहले यह मजदूर अपनी आजीविका  के लिए पलायन कर विभिन्न राज्यों में गए थे लेकिन अब कोरोनावायरस के भय के कारण वह पलायन कर अपने गांव की ओर लौट रहे हैं क्योंकि वह जहां काम कर रहे थे, वहां उनके लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गयी थी।
 
झा ने कहा कि  इन प्रवासी मजदूरों ने देश में भवन निर्माण से लेकर सड़क निर्माण और अन्य कई तरह के निर्माण कार्य तथा कारखानों में योगदान दिया लेकिन उन्हें इस विकास में उनकी हिस्सेदारी नहीं मिली।उन्होंने कहा कि वैसे इस पलायन  में कुछ ऊंची जातियों का भी पलायन हुआ है लेकिन ऊंची जातियों के पलायन और पिछड़ी तथा आदिवासी एवं जनजाति के पलायन में फर्क है। उन्होंने यह भी कहा की सरकार ने ‘सोशल डिस्टेसिंग’ शब्द  का गलत इस्तेमाल किया और इसने इस सामाजिक रिश्ते  को भी प्रभावित किया।
 
उन्होंने कहा  कि संसद में हमने मार्च में ही इस बात का विरोध किया था कि सोशल डिस्टेसिंग शब्द का इस्तेमाल न किया जाए क्योंकि इसमें जातिगत आधार पर दूरी बनाए जाने का भी भाव छिपा हुआ है। हमने इस पद के बदले ‘सामाजिक एका  और शारीरिक दूरी’ शब्द का इस्तेमाल करने की सलाह दी थी। ने कहा कि हमारा समाज जातियों पर आधारित समाज रहा है और आज तक हम इस जाति व्यवस्था को तोड़ नहीं पाए।
 
कोरोना काल  में भी हमें यह देखने को मिला कि कई आरडब्ल्यूए संस्थाओं ने पंचायत खाप की तरह व्यवहार कर अपने मोहल्लों में एक विशेष समुदाय और जाति के लोगों को आने नहीं दिया जबकि समाज के इन्हीं पिछड़ी जातियों के लोग सभी को दूध और सब्जी तथा अखबार देने एवं घर में कामकाज करने का काम कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यस्था में इन प्रवासी मजदूरों की हिस्सेदारी देकर ही देश का विकास किया जा सकता है, कोरोना महामारी  ने यह सीख हमें दी है।
 
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »