नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा एवं आनंद तेलतुम्बडे को आत्मसमर्पण करने के लिए कुछ अतिरिक्त मोहलत दिये जाने संबंधी याचिका पर बुधवार को फैसला सुरक्षित रख लिया। दोनों याचिकाकर्ताओं के वकील ने न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट की खंडपीठ से वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये हुई सुनवाई के दौरान कहा कि उनके दोनों मुवक्किल 65 वर्ष से अधिक आयु के हैं और दिल की बीमारी से पीड़ित हैं।
कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के वक्त दोनों को जेल भेजना उन्हें मौत के मुंह में झोंकने के समान होगा। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उनकी इस दलील का यह कहते हुए पुरजोर विरोध किया कि याचिकाकर्ता कोरोना के नाम पर आत्मसमर्पण को ज्यादा से ज्यादा समय तक टालना चाहते हैं, जबकि जेल ही उनके लिए ज्यादा सुरक्षित स्थान होगा। न्यायालय ने इसके बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था। गौरतलब है कि पिछले दिनों याचिकाकर्ताओं ने आत्मसमर्पण की अवधि बढ़ाये जाने के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन उन्हें उच्च न्यायालय जाने की सलाह दी गयी थी। उच्च न्यायालय से उनकी याचिका खारिज होने के बाद उन्होंने फिर से शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है।