अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस का साया लंबा होता जा रहा है और अब भारत भी उसकी चपेट में आ चुका है। बस, ट्रेन और बाकी ट्रांसपोर्ट की चीजें बन्द कर दी गईं हैं। साथ ही बड़े बड़े उद्योग भी कोरोना के डर के आगे नतमस्तक हो गए है। ऐसे में दिहाड़ी मजदूर और रोज कमा कर अपना पेट भरने वालों के लिए बड़ी समस्या सामने आ गए है। कोरोना के संकट से जूझ रही देश की अर्थव्यवस्था को राहत देने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बड़े ऐलान कर सकती है। नौकरी करने वालों और दिहाड़ी मज़दूरों से जुड़ी कुछ घोषणाएं हो सकती है।
वित्त वर्ष के लिए एक महीना और बढ़ाया जा सकता है यानी 31 मार्च को खत्म हो रहे वित्त वर्ष को 30 अप्रैल तक बढ़ाने की उम्मीद है। टैक्स से जुड़ी कई चीजों को अभी तक पूरा नहीं किया गया है। कोरोना संकट से निपटने के लिए मोदी सरकार जल्द ही बेलआउट पैकेज का ऐलान कर सकती है। मोदी ने 4 दिन पहले राष्ट्र के नाम संबोधन में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में स्पेशल टास्क फोर्स का गठन करने की बात कही थी। यह टास्क फोर्स मौजूदा हालात में आर्थिक सुधारों को लेकर सुझाव देगी। वित्त मंत्री ने खुद इस बात का ऐलान किया है कि कोरोना से लड़ाई के लिए दान की गई रकम कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के दायरे में आएगी।
गौरतलब है कि मोदी ने सोमवार को उद्योग जगत के प्रतिनिधियों एसोचेम, फिक्की, सीआईआई और देश भर के 18 शहरों के स्थानीय चैंबरों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत की। उन्होंने उद्योग जगत से कहा कि वे कर्मचारियों को घरों से काम करने की अनुमति दें और लोगों को नौकरियों से ना निकालें। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब सरकार देश में विकास की गति को तेज करने के लिए काम कर रही थी, तब कोविड-19 के रूप में एक अप्रत्याशित बाधा अर्थव्यवस्था के सामने आ गई। महामारी से उत्पन्न चुनौती विश्व युद्धों द्वारा उत्पन्न की गई चुनौतियों की तुलना में भी गंभीर है और इसके प्रसार को रोकने के लिए हमें निरंतर सतर्क रहने की आवश्यकता है।