29 Mar 2024, 18:28:44 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
news » National

वैज्ञानिकों ने कोविड-19 के त्वरित परीक्षण के लिए किट तैयार की, अब होगी एक घंटे जांच

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Apr 4 2020 3:03PM | Updated Date: Apr 4 2020 3:05PM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

नई दिल्ली। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के वैज्ञानिकों ने कोविड-19 के त्वरित परीक्षण के लिए एक नई किट विकसित की है जो पेपर स्ट्रिप आधारित है और एक घंटे के भीतर परिणाम बता देती है। इसकी लागत मात्र पांच सौ रुपए प्रति परीक्षण से भी कम है। सीएसआईआर से संबद्ध राजधानी स्थित जिनोमिकी और समवेत जीव विज्ञान संस्थान (आईजीआईबी) के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित यह एक पेपर-स्ट्रिप आधारित परीक्षण किट है, जिसकी मदद से कम समय में कोविड-19 के संक्रमण का पता लगाया जा सकता है।
 
यह पेपर स्ट्रिप-आधारित परीक्षण किट आईजीआईबी के वैज्ञानिक डॉ. सौविक मैती और डॉ देबज्योति चक्रवर्ती की अगुआई वाली एक टीम ने विकसित की है। यह किट एक घंटे से भी कम समय में नये कोरोना वायरस (एसएआरएस-सीओवी-2) के वायरल आरएनए का पता लगा सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि आमतौर पर प्रचलित परीक्षण विधियों के मुकाबले यह एक पेपर-स्ट्रिप किट काफी सस्ती है और इसके विकसित होने के बाद बड़े पैमाने पर कोरोना की परीक्षण चुनौती से निपटने में मदद मिल सकती है।
 
आईजीआईबी के वैज्ञानिक डॉ देबज्योति चक्रवर्ती ने यहां बताया कि संक्रमण के शिकार संदिग्ध व्यक्तियों में कोरोना वायरस के जीनोमिक अनुक्रम की पहचान करने के लिए इस पेपर-किट में जीन-संपादन की अत्याधुनिक तकनीक क्रिस्पर-कैस-9 का उपयोग किया गया है। इस किट की एक खासियत यह है कि इसका उपयोग तेजी से फैल रही कोविड-19 महामारी का पता लगाने के लिए व्यापक स्तर पर किया जा सकेगा।
 
डॉ देबज्योति चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘अभी इस परीक्षण किट की वैद्यता का परीक्षण किया जा रहा है, जिसके पूरा होने के बाद इसका उपयोग नये कोरोना वायरस के परीक्षण के लिए किया जा सकेगा। इस किट के आने से वायरस के परीक्षण के लिए वर्तमान में इस्तेमाल की जाने वाली महँगी रियल टाइम पीसीआर मशीनों की जरूरत नहीं पड़ेगी। नई किट के उपयोग से परीक्षण की लागत करीब 500 रुपये आती है।’’ आईजीआईबी के वैज्ञानिकों ने बताया कि वे इस टूल पर लगभग दो साल से काम कर रहे हैं लेकिन, जनवरी के अंत में, जब चीन में कोरोना का प्रकोप चरम पर था, तो उन्होंने यह देखने के लिए परीक्षण शुरू किया कि यह किट कोविड-19 का पता लगाने में कितनी कारगर हो सकती है। इस कवायद में किसी नतीजे पर पहुँचने के लिए आईजीआईबी के वैज्ञानिक पिछले करीब दो महीनों से दिन-रात जुटे हुए थे।
 
सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ शेखर सी. मांडे ने कहा है, ‘‘इस किट के विकास से जुड़े प्राथमिक परिणाम उत्साहजनक हैं हालाँकि, प्राथमिक नतीजे अभी सीमित नमूनों पर देखे गए हैं और इसका परीक्षण बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। दूसरे देशों से मंगाए गए नमूनों पर भी इसका परीक्षण किया जाएगा। नियामक निकायों से इसके उपयोग की अनुमति जल्दी ही मिल सकती है, जिसके बाद इस किट का उपयोग परीक्षण के लिए किया जा सकता है।’’  उधर एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार केन्द्र सरकार के अधीन वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद -माइक्रोबायलॉजी प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएसआईआर-इमटेक) ने कोविड 19 के नमूना परीक्षण में वृद्धि के उद्देश्य से केन्द्र सरकार की सभी प्रयोगशालाओं का नेटवर्क तैयार करने तथा डॉक्टरों एवं नर्सों के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट बनाने के लिए स्थानीय पेशेवरों को सहायता देना शुरू कर दिया है।
 
सरकारी सूत्रों के अनुसार अभी तक देश में मुख्य रूप से यात्रा इतिहास वाले रोगियों का ही परीक्षण हो रहा है। लेकिन अब जरूरत इस बात की है कि आबादी के अनुपात के लिहाज से परीक्षण की दर में सुधार हो। सूत्रों के अनुसार केन्द्र सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) द्वारा जारी निर्देर्शों तथा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा सीएसआईआर तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) से संबद्ध अन्य प्रयोगशालाओं के तहत कोविड-19 परीक्षण को प्रचालित करने के लिए जारी परामर्श के अनुरूप सीएसआईआर-इमटेक ने कोविड-19 नमूना परीक्षण में तेजी लाने के लिए कदम बढ़ाया है। सूत्रों ने बताया कि संस्थान ने कोविड-19 के लिए क्लिनिकल परीक्षण करने की खातिर अपनी क्षमताओं का संवर्धन किया है।
 
इसकी प्रयोगशाला के पास मॉलिकुलर माइक्रोबायोलोजी में आवश्यक विशेषज्ञता और बायोसेफ्टी लेवल (बीएसएल)-3 सुविधा सहित अपेक्षित अवसंरचना है। इसके अतिरिक्त प्रयोगशालाओं को परीक्षण से पूर्व सभी प्रकार की बायोसेफ्टी और जैव सुरक्षा सावधानियां बरतने को कहा गया है। रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पोलीमेरेस चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) उपकरणों से सुसज्जित एक नवनिर्मित बीएसएल-2प्लस विरोलाजी लैब भी स्थापित की गई है। जल्द से जल्द परीक्षण प्रचालित करने के लिए नैदानिक नमूनों के परीक्षण के लिए आवश्यक सभी अनिवार्य अनुमोदन प्राप्त कर लिए गए हैं।
 
इमटेक चंडीगढ़ के निदेशक डा. संजीव खोसला के मुताबिक सभी सरकार-प्रत्यायित प्रयोगशालाओं को शामिल करने की आईसीएमआर की पहल एक स्वागत योग्य कदम है और यह कोविड-19 नमूनों के परीक्षण में एक गेम चेंजर साबित होगा। यह संदिग्ध मरीजों के बीच परीक्षण दर को बढ़ाएगा। आरंभिक चरण में, इमटेक की योजना प्रति दिन 50 से 100 नमूनों का परीक्षण करने की है जिससे धीरे धीरे आवश्यकता के अनुसार वृद्धि की जाएगी।
 
सूत्रों ने बताया कि नैदानिक नमूनों के परीक्षण के अतिरिक्त सीएसआईआर-इमटेक व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराने के जरिये स्वास्थ्य पेशेवरों की सहायता भी कर रही है जिससे कि उन्हें किसी संक्रमित व्यक्ति के उपचार के दौरान संक्रमण से बचाया जा सके। संस्थान लाजिस्टिक्स एवं अवसंरचना सहायता उपलब्ध कराने के जरिये स्थानीय प्रशासन एवं चंडीगढ़ की रेडक्रास यूनिट की भी सहायता कर रहा है। 
 
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »