पीलीभीत। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में आस्ताना ए हशमतिया के सज्जादा नशीन मुफ्ती मौलाना जरताब रजा खां हशमती ने कहा है कि बहावी विचारधारा वाले तब्लीगी जमात को सवा सौ पहले ही इस्लाम से खारिज किया जा चुका है। मौलाना हशमती ने गुरूवार को बयान जारी कर दिल्ली में तब्लीगी जमात के लोगों की हरकत की मजम्मत की और कहा कि तकरीबन 125 साल पहले अरब के उलेमा ने फतवा जारी कर इनको इस्लाम से खारिज कर दिया है। इनका इस्लाम से कोई ताल्लुक नहीं है। यह बहावी विचारधारा के लोग हैं, जिनका आतंकवादी संगठनों से ताल्लुक है। यह इस्लाम के नाम पर गंदगी फैला रहे हैं।
उन्होने कोरोना को लेकर लॉक डॉउन के बीच हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह के पास मरकज में तब्लीगी जमात के जलसे को देश को संकट में डालने का जिम्मेदार बताया। उन्होने कहा कि तकरीबन 125 साल पहले अरब के उलमा ने इन पर फतवा जारी किया था। अरबी में हुसामुल हरमैन के नाम से उस किताब को जाना जाता है, उसमें अरब के उलमा ने इनको इस्लाम से खारिज कर दिया। किताब में उलमा ने हुक्म दिया कि जो इनसे सलाम कलाम करेगा, इनको अपने यहां बुलाएगा, इनके अकीदे को जानने के बाद वह इस्लाम से खारिज़ हो जाएगा।
मौलाना ने कहा ‘‘ उसी किताब का अनुवाद करने के उद्देश्य से मेरे दादा हुजूर सरकार शेरे सुन्नत मौलाना हशमत अली खां के साथ हिंदुस्तान के 150 उलेमा ने किताब पर तस्दीक की। किताब की हिमायत में हिंदुस्तान व पाकिस्तान (जो उस समय नहीं बना था) सारे उलेमा ने इनको इस्लाम से खारिज किया।’’ उन्होने कहा कि उसी समय भारत सरकार से मुतालबा किया गया कि इनका इस्लाम से कोई ताल्लुक नहीं है।
मुŸफ्ती ने तब्लीगी जमात को लेकर कहा कि यह बहावी विचारधारा के लोग हैं, जिनका आतंकवादी संगठनों से ताल्लुक है। यह इस्लाम के नाम पर गंदगी फैला रहे हैं। आज इन्होंने कोरोना के नाम पर गंदगी फैलाई, ऐसे लोगों को हिंदुस्तान में जीने का कोई हक नहीं है। इनको खत्म कर दिया जाए। जो अपने पैगंबर के नहीं हुए, वे भला किसके होंगे।