नई दिल्ली। कोरोना वायरस का संक्रमण देश में लगातार बढ़ता जा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने COVID-19 को लेकर लेकर ताजा आंकड़े जारी किए हैं। देश में इस घातक वायरस के संक्रमण के आज अभी तक 43 नए मामले सामने आए हैं, साथ ही चार और मरीजों की मौत हुई है। देश में इस महामारी से संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वहीं कुछ लोग अभी भी इस वायरस को लेकर गंभीर नहीं है। वहीं कोरोना वायरस से निपटने के इटली के तरीकों पर कई तरह के सवालिया निशान हैं। वेलेरियो कैप्रारो नाम के एक शख्स ने टि्वटर पर इटली की गलतियों के बारे में लिखा। कैप्रारो लंदन में रहते हैं। उनके टि्वटर बायो के अनुसार वे सीनियर लेक्चरर हैं। 20 मार्च को कैप्रारो ने लिखा है कि ठीक एक महीने पहले इटली में कोरोना वायरस का पहला मामला आया था। मैं बताता हूं कि इसके बाद एक महीने में क्या हुआ. उम्मीद है कि आप हमारी गलतियों से सीखेंगे।
पहले दो सप्ताह में केवल 11 शहरों को लॉकडाउन किया गया। इस दौरान मरने वालों की संख्या कम थी। राजनेता और महामारी के विशेषज्ञ टीवी पर लड़ रहे थे। कह रहे थे कि यह तो केवल फ्लू (बुखार) है। दूसरे सप्ताह के खत्म होते-होते यह साफ हो गया कि वायरस उत्तरी इटली के कई इलाकों में फैल गया है। एक दिन में 50 लोगों की मौत होने लगी। इटली की सरकार ने लोम्बार्डी सहित कई राज्यों को लॉकडाउन करने की कोशिश की। लेकिन दक्षिणपंथी नेताओं को गज़ब का ख़याल आया। उन्होंने कोरोना से लड़ने के कानून के ड्राफ्ट को मीडिया को सौंप दिया। कानून लागू होने से पहले ही लोग डर गए। लोग लोम्बार्डी छोड़ने लगे। लोम्बार्डी को बाद में रेड ज़ोन घोषित कर दिया। तीन दिन बाद मरने वालों का आंकड़ा रोजाना 50 से 200 लोगों का हो गया। रेड ज़ोन के बाहर से भी मामले आने लगे। इस पर पीएम ज्यूसिपी कोंटे ने पूरी इटली को लॉकडाउन करने का फरमान सुना दिया।