नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ के कारण उत्पन्न वैश्विक महामारी कारण ईरान में फंसे लगभग 850 भारतीय नागरिकों को वापस लाने के निर्देश संबंधी याचिका पर केंद्र सरकार को शुक्रवार को नोटिस जारी किया। शीर्ष अदालत में पहली बार वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हुई सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने मोहम्मद मुस्तफा की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया तथा इस मामले की सुनवाई के लिए सोमवार (30 मार्च) की तारीख मुकर्रर की।
न्यायालय ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े की दलीलें वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनने के बाद केंद्र को नोटिस जारी किया तथा इस बीच सभी तीर्थयात्रियों को जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए राजनयिक स्तर पर प्रयास करने का केंद्र को निर्देश भी दिया। हेगड़े ने कहा कि तीर्थयात्रियों के रूप में ईरान के क्यूम गये 250 से अधिक लोग ज्यादातर गरीब वित्तीय पृष्ठभूमि से हैं और उन्हें इस महीने की शुरुआत में घर लौटना था लेकिन महामारी के कारण वे अपनी यात्रा से लौट नहीं सके।
इन लोगों ने दिसंबर 2019 के बाद अलग-अलग तारीखों पर अपनी यात्राएं शुरू की। यात्रा तीन महीने की अवधि के लिए निर्धारित थी और तीर्थयात्रियों को 26 फरवरी के बाद अलग-अलग तारीखों पर लौटना था। इन तीर्थयात्रियों में याचिकाकर्ता के रिश्तेदार भी शामिल हैं, जिन्हें गत छह मार्च को लौटना था। याचिका में कहा गया है कि इन तीर्थयात्रियों को चार-पांच के समूह में होटल के कमरों में समायोजित किया गया है, जो स्वास्थ्य को गम्भीर खतरा है और ऐसे तीर्थयात्रियों के लिए विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।’’
याचिकाकर्ता ने कहा कि जब तक इन तीर्थयात्रियों को वहां से निकालने के लिए उपयुक्त बंदोबस्त नहीं होता तब तक भारत सरकार को ईरान में फंसे इन भारतीय नागरिकों को पर्याप्त स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सहयोग मुहैया कराने का निर्देश दिया जाये। हेगड़े को वकील आशीष वीरमानी और हर्षा गोल्लामुडी ने भी सहयोग किया।