नई दिल्ली। कोरोना वायरस के संक्रमण के दुनिया भर के 55 देशों में फैलने के बीच भारत और चीन के उद्यमी संगठनों ने जल्द ही इस संकट के दूर होने की उम्मीद जताते हुये कहा है कि चीन में इस सप्ताह में विनिर्माण गतिविधियों के पटरी पर लौटने की संभावना है। हालात की गंभीरता देखते हुए और भारत तथा चीन के वर्तमान व्यापार संबंधों पर विचार विमर्श के लिए शुक्रवार को यहां किरिन क्रेयन्स ने अंतर्राष्ट्रीय विज्ञापन संघ के सहयोग से ‘वी स्टैंड विद चाइना’ पर परिचर्चा का आयोजन किया जिसमें चाइना काउंसिल फॉर द प्रमोशन ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड (सीसीपीआईटी), चैंबर ऑफ चाइनीज इंटरप्राइजेज इन इंडिया (सीसीईआई), इंडिया चाइना इकनॉमिक एंड कल्चरल काउंसिल (आईसीईसी) और भारत में कार्यरत कई चीनी ब्रांड के प्रतिनिधि इसमें भाग लिये ।
परिचर्चा में काउंसिल फॉर द प्रमोशन ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड (सीसीपीआईटी) के मुख्य प्रतिनिधि हैरिस लिउ ने कहा कि चीन की कंपनियों ने भारत में 10 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है और इससे पांच लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के मद्देनजर भारत सरकार ने वीजा को लेकर कुछ कठोर कदम उठाये हैं जिससे चीनी कंपनियों की भारतीय इकाईयों में गतिविधियां प्रभावित हुयी है। किरिन क्रेयन्स के सह-संस्थापक और विवो इंडिया के पूर्व सीएमओ विवेक झांग ने वॉयसकॉल के माध्यम से परिचर्चा में भाग लेते हुये कहा कि इस सप्ताह अधिकांश चीनी कंपनियों ने काम शुरू कर दी है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के प्रमुख ने यह विश्वास दिलाया है कि अप्रैल के अंत तक स्थिति पूरी तरह से काबू में होगी। भारतीय चीनी उद्यम संघ के अध्यक्ष एलन वैंग ने दोनों देशों के संबंध, व्यापार, चुनौतियों आदि के बारे में चर्चा करते हुये कहा कि उनके संघ के अनुमानित आंकड़ों के अनुसार अब तक चीनी कंपनियों चीन के केवल 2000 लोग भारत में बने हुए हैं और चीनी कंपनियों का घाटा पांच करोड़ डॉलर से अधिक का है और इसमें बढोतरी होने का अनुमान है। किरिन क्रेयन्स के सह संस्थापक एवं द क्रेयन्स नेटवर्क के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ने कहा कि आज भारत और चीन के कारोबार पर छाई चुप्पी घबराने वाली है क्योंकि लगभग 87 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार खतरे में है। चीनी ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए पूरी तैयारी कर ली है1