नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर विरोध-प्रदर्शन की बीच दिल्ली में भड़की हिंसा पर शिवसेना ने केन्द्र सरकार पर निशाना साधा है। शिवसेना ने दिल्ली की इस भयावह स्थिति को एक डरावनी फिल्म करार देते हुए कहा कि इसने 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों के जख्मों को एक बार फिर ताजा कर दिया।
इसे लेकर ही शिवसेना ने एक बार फिर केंद्र और केंद्रीय गृह मंत्रालय पर हमला बोला है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में कहा है कि दिल्ली में दंगे जारी रहे, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प राजधानी का दौरा कर रहे थे। शिवसेना ने कहा, "जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प बातचीत कर रहे थे, तो दिल्ली जल रही थी।
राजधानी में कानून व्यवस्था बनाए रखने में केंद्र सरकार विफल रही। संपादकीय में आगे कहा गया है, "1984 के सिख विरोधी दंगों के लिए, भाजपा अभी भी कांग्रेस को दोषी ठहराती है। आपको बता दें कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद, दिल्ली में सिख समुदाय को निशाना बनाया गया था और सैकड़ों सिख भाइयों को मार दिया गया था।"
सामना में लिखा गया है कि 1984 के दंगों जैसा ही माहौल दिल्ली में है। लोग हाथों में पिस्तौल और तलवार लेकर सड़क पर हैं। संपादकीय में कहा गया है ' दिल्ली में जो दृश्य हम देख रहे हैं वह डरावना है। इसके लिए कौन जिम्मेदार है? और दिल्ली में यह स्थिति थी जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प राजधानी में थे और यह हमें अच्छा नहीं लगता है। सेना ने अमेरिका से रक्षा डील पर भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा।
शिवसेना की तरफ से कहा गया कि ट्रम्प ने अपने भाषण में आतंकवाद को समाप्त करने के लिए पाकिस्तान को चेतावनी दी। ट्रम्प पाकिस्तान से लड़ने के लिए भारत को विनाशकारी मिसाइल देने जा रहे हैं लेकिन यह अंततः एक व्यापार है और हमें इसके लिए अरबों डॉलर का भुगतान करना होगा। ट्रम्प ने मोदी की कम से कम 25 बार प्रशंसा की और गले लगाया। इसपर शिवसेना ने कहा कि एक-दूसरे ने 25 बार गले लगाने की कीमत हमें 3 बिलियन डॉलर दी।