चंडीगढ़। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आरोप लगाया है कि देश पर केवल दो ही लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शासन कर रहे हैं तथा यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिये बड़ी चिंता का विषय है। गहलोत ने यहां पार्टी मुख्यालय में हरियाणा विधानसभा चुनावों के सिलसिले में एक संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित करते हुये आरोप लगाया होता तो यह है कि कोई सत्तारूढ़ पार्टी जब चुनाव में जाती है तो वह अपनी उपलब्धियों और काम का लेखा जोखा जनता के समक्ष रखती है लेकिन ऐसा न करके ये दोनों नेता महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों में भावनात्मक मुद्दों को उठा कर लोगों को गुमराह कर रहे हैं क्योकि इनके पास राज्य सरकार के कार्यों के रूप में गिनाने के लिये कुछ नहीं है।
उन्होंने कहा कि भाजपा लोकसभा चुनावों में बालाकोट और पुलवामा जैसे मुद्दों तथा सेना के पराक्रम की आड़ लेकर जीत गई लेकिन अब महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों में उसने लोगों को भावनात्मक रूप से प्रभावित करने के लिये अनुच्छेद 370 को भी प्रचार में जोड़ लिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 1962 और 1965 के युद्ध हों या वर्ष 1971 में पाकिस्तान को दोफाड़ कर बंगलादेश बनाने समेत देश में संवैधानिक संस्थाओं का निर्माण किया। लेकिन भाजपा इनका कभी जिक्र नहीं करती और कहती है कि कांग्रेस ने 70 सालों में कुछ नहीं किया। उन्होंने दावा किया कि भाजपा महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल और भीमराव अम्बेडकर को मानती ही नहीं थी लेकिन अब एक-एक करके इसने इन नेताओं को अपनाना शुरू कर दिया है।
उन्होंने कहा कि भाजपा को देश से माफी मांगनी चाहिये कि पहले हम महात्मा गांधी को समझ नहीं पाये और अब उन्हें अपना रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में आज केंद्रीय जांच ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) और आयकर विभाग कथित तौर पर दबाव में काम कर रहे हैं। पीएमओ की निगरानी में संवैधानिक संस्थाओं का कथित तौर पर दुरूपयोग कर कांग्रेस नेताओं को चुन चुन कर फंसाया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ संविधान के ऊपर एक सत्ता के रूप में काम कर रही है और यह दावा किया कि नागपुर की अनुमति के बिना केंद्र सरकार की मंत्री या मुख्यमंत्री नियुक्त करने की कोई हैसियत नहीं है। उन्होंने कहा कि देश के हालात बेहद चिंताजनक हैं। अनुच्छेद 370 समाप्त किये जाने को लेकर गहलोत ने किया लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत केंद्र सरकार को यह कदम उठाने से पूर्व राजनीतिक दलों और जम्मू कश्मीर के नेताओं से चर्चा करनी चाहिये थी।
भले ही इस चर्चा में सहमति नहीं बनती लेकिन एकतरफा कार्रवाई करने के वजाय लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अवश्य ही पालन किया जाना चाहिये था। उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू करने पर केंद्र सरकार ने इस पर जश्न मनाया। जीएसटी ढांचे में विसंगतियों के चलते राज्यों का केंद्रीय करों में हिस्सा घटने से उनके राजस्व में गिरावट आई। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में भाजपा से काला धन वापिस लाने, दो करोड़ रोजगार प्रतिवर्ष देने और किसानों की आमदनी दुगुनी करने जैसे अनेक वादे किये थे लेकिन कुछ नहीं हुआ और न ही भाजपा के विधानसभा चुनावों में जारी घोषणापत्रों में इन मुद्दों का कोई जिक्र नहीं है।
राफेल विमान खरीद को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि कीमत तो 526 करोड़ रूपये तय हुई थी लेकिन यह 1660 करोड़ रूपये कैसे हो गई। 126 विमान खरीदे जाने थे लेकिन 36 ही क्यो खरीदे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने इस मुद्दे को जोरशोर से संसद में उठाया लेकिन सरकार ने इस पर कोई जबाव नहीं दिया। कम से कम इस मुद्दे पर देश की जनता को तो विश्वास में लेते। उन्होंने हरियाणा की जनता से अपील की कि वह इन सभी मुद्दों पर विचार करते हुये 21 अक्तूबर को अपने वोट की चोट से केंद्र सरकार को इसका जबाव दे और कांग्रेस को सत्ता में लेकर आए।