नई दिल्ली। 16 दिसंबर 2012, भारतीय इतिहास में दर्ज वो काला पन्ना जिसने पूरे समाज को झंकझोर कर रख दिया था। हम बात कर रहे हैं निर्भया गैंगरेप हत्याकांड की जिसकी जांच में अहम भूमिका निभाने वाली IPS अफसर छाया शर्मा को अब अमेरिका में सम्मानित किया गया है। उन्हें यह सम्मान साहसिक लीडरशिप से जुड़े कार्यों के लिए दिया गया है।
रिकॉर्ड टाइम में आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने वाली छाया शर्मा को एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी ने 2019 के मैक्केन इंस्टीटयूट फॉर इंटरनेश्नल लीडरशिप अवॉर्ड से सम्मानित किया। बता दें कि साहसिक लीडरशिप से जुड़े कार्यों के लिए दिए जाने वाला यह अवॉर्ड पाकिस्तान की मानवाधिकार कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई को भी दिया जा चुका है, जिन्हें 2015 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया जा चुका है।
छाया शर्मा ने मीडिया से बातचीत में कहा, 'मुझे नहीं पता कि अगर इस केस को एक पुरुष डीसीपी देखता तो कुछ अलग होता। मैं इस पर कुछ नहीं कह सकती। ये उसकी संवेदनशीलता पर निर्भर करता है, चाहे वो पुरुष हो या महिला।' आईपीएस छाया शर्मा ने साल 2012 में हुए 'निर्भया गैंगरेप केस' को रिकॉर्ड टाइम में सुलझाया था। मात्र 5 दिनों के अंदर सभी आरोपी पुलिस की गिरफ्त में थे। उस समय वो दक्षिणी दिल्ली की डीसीपी थीं। गौरतलब है कि आपने बीते दिनों छाया शर्मा के किरदार को नेटफ्लिक्स की चर्चित वेब सीरीज 'दिल्ली क्राइम' में देखा है। इस सीरीज में एक्ट्रेस शेफाली शाह ने छाया का किरदार निभाया है।
छाया की टीम के मुताबिक केस की छानबीन के दौरान न तो छाया खुद और न ही उनकी टीम का कोई भी सदस्य घर गया। घर न जाने का ये सिलसिला छह दिनों तक चलता रहा जब तक कि सभी आरोपी गिरफ्त में नहीं आ गए थे। छाया कहती हैं, ''एक महिला होने के नाते इस केस में मुझ पर लोगों ने भरोसा किया। जब ये रेप हुआ तो ऐसा लगा कि मेरे भीतर भी कुछ घटित हुआ है।
पीड़िता की स्थिति बिल्कुल खराब थी और उसे देख मैं अंदर से विचलित हो गई थी। लोग पीड़िता की स्थिति को लेकर अलग-अलग बातें कर रहे थे।'' रेप को भयानक तरीके से अंजाम दिया गया था। सरिया से भी हमला किया गया था। इसकी वजह से हालात और बिगड़ गए थे क्योंकि अंदरूनी जख्म बहुत ही डरावने थे। डॉक्टर ने जख्मों के बारे में जो बताया है उसे सुनने के बाद सांस रुक गई थी।
16 दिसंबर 2012, दिल्ली में एक दिल दहलाने वाली घटना हुई थी। चलती बस में एक लड़की का बर्बरता से रेप किया गया था। गैंगरेप के बाद निर्भया 13 दिनों तक अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझती रही और आखिरकार 29 दिसंबर को सिंगापुर के अस्पताल में उसने दम तोड़ दिया था। इस गैंगरेप की दुनियाभर में निंदा हुई थी। देश में कहीं शांतिपूर्ण, तो कहीं उग्र प्रदर्शन भी हुए थे। दिल्ली में प्रदर्शन के उग्र होने पर मेट्रो सेवा बंद करनी पड़ी थी।
रायसीना हिल्सरोड पर तो दिल्ली पुलिस ने आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज कर दिया था। मुख्य आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली। विशेष तौर पर गठित त्वरित अदालत ने 12 सितंबर 2013 को चार दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई, जबकि एक आरोपी को स्कूली प्रमाणपत्र के आधार पर नाबालिग मानते हुए तीन साल किशोर सुधार गृह में रहने की सजा दी गई। वो अब रिहा हो चुका है।