मुंबई। भारतीय सेना में महिलाओं और पुरुषों में भेद-भाव करने के संबंध में शिव सेना ने केन्द्र सरकार की आलोचना की है। शिव सेना ने पार्टी के मुख पत्र सामना के आज के संपादकीय में लिखा है कि उच्चतम न्यायालय ने महिलाओं को पुरुषों की ही तरह सेना में नेतृत्व करने का आदेश दिया है जिससे महिलाओं का सम्मान बढ़ गया। शिव सेना ने आगे लिखा है कि भारत में महिलाओं की शक्ति को कभी कम नहीं आंका गया। रणक्षेत्र में महारानी लक्ष्मी बाई और रानी चिन्नमा जैसे वीरांगनाओं ने अदम्य साहस और वीरता का परिचय दिया।
इसके साथ ही अहिल्या बाई होलकर ने भी तलवार उठायी थी। महाराष्ट्र में राजाराम की पत्नी ताराबाई ने पति के निधन के बाद शासन की बागडोर संभाली थी। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पाकिस्तान के टुकड़े कर बंगलादेश बनाने में योगदान को कौन भूल सकता है। भारतीय महिलाएं अपने शील को बचाने के लिए हजारों की संख्या में एक साथ जौहर ‘अग्नि स्रान’ किया, यह कोई साधारण बात नहीं है।
महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाषचंद्र बोस ने आजाद हिंद सेना का कैप्टन लक्ष्मी सहगल को बनाया था। भारतीय महिलाएं आज सभी क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधा से कंधा मिला कर चल रही हैं। उच्चतम न्यायालय ने भारतीय महिलाओं को ‘मर्दानी’ घोषित किया है, यह एक ऐतिहासिक निर्णय है। हमारी ये महिलाएं एक दिन सेना प्रमुख बनेंगी और भारत की विशाल सेना का नेतृत्व भी करेंगी, इसमें कोई शक नहीं है।