19 Apr 2024, 19:13:08 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
State

राजमाता ने त्याग और समर्पण से जनसंघ और भाजपा को सींचा- शिवराज

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 12 2021 6:42PM | Updated Date: Oct 12 2021 6:47PM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि स्व राजमाता श्रीमती विजयाराजे सिंधिया ने जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को अपने कठोर परिश्रम और त्याग के बल पर सींचा है।
 
चौहान आज यहां पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में राजमाता स्व विजयाराजे धिया की पुण्यतिथि पर उनकी प्रतिमा पर मालार्पण किया। उन्होंने कहा कि राजमाता सिंधिया ने राजसी वैभव छोड़कर लोकमाता बनी और जनसेवा का मार्ग चुना। उन्होंने कहा कि राजमाता ने अपने कठोर परिश्रम और त्याग के बल पर जनसंघ व भाजपा को सींचा है। इस अवसर पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा सहित पार्टी के अनेक कार्यकर्ता मौजूद थे।
 
चौहान ने कहा कि राजमाता, राज परिवार में जन्म लेने के बावजूद, उन्होंने भौतिक सुखों का परित्याग कर, देश और जनता की भलाई के लिए कंठकाकीर्ण पथ अपनाया था। मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का जो स्वरूप दिखाई पड़ता है और देश में भी जो विस्तार हुआ है, उसमे राजमाता का अतुलनीय योगदान है। उन्होंने कहा कि जहां मध्यप्रदेश में एक तरफ कुशाभाऊ ठाकरे, संगठन के कुशल शिल्पी थे वहां राजमाता ने भारतीय जनसंघ को मास ऑर्गनाइजेशन बनाने में परिश्रम की पराकाष्ठा की थी। पहली बार मध्यप्रदेश में, गैर कांग्रेसी संविद सरकार राजमाता के कारण ही आई थी और यह भ्रम भी उसी समय समाप्त हुआ था कि, ‘‘कांग्रेस‘‘ कभी हार नही सकती।
 
उन्होंने कहा कि राजमाता ने हमेशा अन्याय के खिलाफ संघर्ष किया। राजमाता केवल एक परिवार की नहीं बल्कि लाखों लोगों की मां थी और लोगों के दिलों में स्थापित थीं। उन्होंने बताया कि जब नर्मदा नदी में 1973 में बाढ़ आई तो होशंगाबाद के कई गांव भी डूब गये थे। उस समय राहत देने न तो प्रशासन पहुंचा और न ही सरकार, लेकिन राजमाता ने लोगों के लिए राहत सामग्री लेकर पहुंच गईं।
 
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि एक राजघराने से होने के बावजूद राजामाता विजयाराजे सिंधिया ने एक वैचारिक संगठन को न सिर्फ खड़ा किया, बल्कि उसे लगातार मजबूती प्रदान की। इमरजेंसी के दौरान उन्होंने जेल की यातनाएं सहीं, लेकिन किसी भी प्रकार से वे प्रभावित नहीं हुईं। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनपर लगातार दबाव बनाया, लेकिन वह अन्याय के खिलाफ अड़ी रहीं और पीछे नहीं हटीं।
 
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »