इंदौर। मानवता की पहचान जैसा इस संस्था का नाम है, वैसा ही इसका काम है। संस्था से जुड़े युवाओं ने विश्व रक्तदान दिवस के मौके पर रक्तदान किया। चार सौ से ज्यादा युवाओं ने रक्तदान करके एक तरह से मानवता की मिसाल पेश की। उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार सहित कई क्षेत्रों में काम करने वाली इस संस्था ने कोरोना काल में भी वो काम किए, जिससे पता चला कि मानवता आज भी जिंदा है। एक हजार से ज्यादा मेंबर और तीस वालेंटियर वाली मानवता की पहचान संस्था 24 घंटे सेवा कार्य करती रहती है। विश्व रक्तदान दिवस पर भी सबसे ज्यादा रक्तदान करवाया। देखिए मानवता की पहचान संस्था के मानवता वाले कार्य की एक झलक।
मानवता की पहचान संस्था के अध्यक्ष अनुराग सचदेव के दिल में समाजसेवा और लोगों की मदद करने का जज्बा बचपन से ही है। अनुराग सचदेव की संस्था का जैसा नाम है, वैसी ही मानवता अनुराग जी के दिल में भी है। अभी बात करें कोरोना काल की तो जब इंदौर में कोई संस्था या समाजसेवी सामने नहीं आ रहे थे, तब मानवता की पहचान संस्था ने खाना बांटने की शुरूआत की। चार सौ से ज्यादा भोजन के पैकेट प्रतिदिन पूरे लॉकडाउन में बांटे। इसके अलावा गरीब बच्चों की शिक्षा में मदद, चिकित्सा में मदद करने में भी संस्था आगे रहती है। गरीब युवाओं को सही राह दिखाकर रोजगार भी उपलब्ध करवाते हैं।
मानवता की पहचान संस्था अब धीरे-धीरे इंदौर की पहचान बनते जा रही है, उसकी वजह है कि इस संस्था में एडवोकेट, सरकारी स्कूल टीचर, बैंक मैनेजर, प्रोफेसर और यूथ बड़ी संख्या में जुड़ा है। मानवता की पहचान संस्था के अध्यक्ष अनुराग सचदेव, मौसम वार्डिया, मनीष पुरूषवानी, लक्की चैहान, विक्रम पवार, अक्षत विजयवर्गीय, पंकज अहीरवार दिन-रात सेवा कार्य में लगे रहते हैं। विश्व रक्तदान दिवस के मौके पर छावनी स्थित रेडक्रॉस सोसायटी पर संस्था ने रक्तदान करवाया। रक्तदाताओं का हौसला बढ़ाने के लिए उन्हें सर्टिफिकेट भेंट किए।
रक्तदान करने वालों के लिए नाश्ते का प्रबंध भी संस्था ने किया। हर व्यवस्था इतनी दुरूस्त और शानदार थी कि यहां का ब्लेड डोनेशन कैंप देखने लायक था। संस्था के साथ ऐसे युवाओं की लंबी फौज है, जिनके ब्लड में ही समाजसेवा और कुछ कर दिखाने का जज्बा है। यही वजह है कि मानवता की पहचान संस्था समाजसेवा के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाती चली जा रही है।