भोपाल। मध्यप्रदेश के जल-संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने वल्लभ भवन में आयोजित समीक्षा बैठक में निर्देश दिए कि विभाग की सिंचाई परियोजनाएं इस प्रकार बनाईं जाएं, जिनसे संतुलित विकास के लिए आवश्यक जल-संसाधन उपलब्ध रहे। आधिकारिक जानकारी में सिलावट ने कहा कि जिन क्षेत्रों में कृषकों को खेती के लिए पानी की सर्वाधिक आवश्यकता है उन क्षेत्रों के साथ विशेषकर आदिवासी क्षेत्रों में भी सिंचाई परियोजनाएं बनाईं जाएं।
उन्होंने कहा कि सिंचाई परियोजनाओं से आदिवासियों के खेतों में पानी पहुंचाने का काम प्रमुखता से किया जाए। भविष्य की सिंचाई परियोजनाओं में आदिवासी क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी पिछड़े और पानी की कमी वाले जिलों में सिंचाई परियोजना बनाकर जल्दी से कार्य शुरू करने के निर्देश दिए हैं। वल्लभ भवन में आयोजित जलसंसाधन विभाग की समीक्षा बैठक में प्रमुख सचिव डी पी आहूजा, प्रमुख अभियंता दांडेकर, और सभी संभागों के मुख्य अभियंता उपस्थित थे।
बैठक में मंत्री सिलावट ने कहा कि वर्षा पूर्व विभाग के सभी डैम, गेट और केनाल की निरीक्षण रिपोर्ट की जांच के लिए कमेटी बनाई जाए। सभी अधिकारी 15 दिनों में परियोजनाओं का निरीक्षण करें और दौरा डायरी भी अद्यतन रखें। अब सभी समीक्षा बैठक संभाग स्तर पर आयोजित की जाएंगी। बैठक में प्रमुख सचिव डी पी आहूजा ने बताया कि आगामी वर्ष में प्रदेश में एक लाख 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है। इस वर्ष छोटी बड़ी कुल 100 परियोजनाओं को पूर्ण कर लिया जाएगा।
अभी 58 हजार करोड़ की योजनाएं स्वीकृत हैं, जिनमें 28 हजार करोड़ राशि के काम किये जा चुके हैं। बैठक में मंत्री सिलावट ने विभाग के लंबित अनुकम्पा नियुक्ति के प्रकरण एक माह में निराकरण करने, विभाग की सभी सिंचाई परियोजनाओं को समय-सीमा में पूर्ण करने और किसानों को खेती के लिए पानी उपलब्ध कराने की प्राथमिकता को ध्यान में रखकर काम करने के निर्देश दिए।