लखनऊ। वैश्विक महामारी कोविड-19 से निजात पाने के लिये जरूरी वैक्सीन की खोज भारत समेत पूरी दुनिया में जारी है वहीं जाने माने आर्युवेदाचार्य और ग्रीन हर्बल हेल्थ सेंटर योजना के निदेशक डा केएन सिंह का दावा है कि पीपल और लटजीरा जैसी जड़ी बूटियों के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि कर न सिर्फ संक्रमण के खतरे को टाला जा सकता है बल्कि चुनिंदा वनस्पितयों का नियमित सेवन कोरोना संक्रमित को पूरी तरह स्वस्थ कर सकता है।
डा सिंह ने बुधवार को ‘यूनीवार्ता’ से खास बातचीत में कहा कि दुनिया की सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्धति आर्युवेद वैश्विक महामारी नोवल कोरोना वायरस से लड़ने में पूरी तरह सक्षम है। केरल समेत कई राज्यों ने इस पद्धति को अपना कर न सिर्फ कोरोना संक्रमण पर काबू किया है बल्कि केन्द्र सरकार के आयुष मंत्रालय ने बाकायदा एडवाइजरी जारी कर कोरोना के बचाव के लिये आर्युवेदिक उपचार पर बल दिया है।
उन्होने कहा कि एक मुट्ठी लटजीरा अपामार्ग (आर्युवेदिक नाम एंटिरैन्थस एस्परा) के पत्ते साफ पानी से धोकर सुबह खाली पेट और शाम को खाने के चबाकर खाने से कोरोना जैसे विषाणु से लड़ने में मदद मिलती है। इसके साथ ही सफेद मदार (कैलाट्रोपिस गिगैंटी) के हरे पत्ते का टुकड़ा हाथ की बीच की उंगली के बराबर एक या आधा चम्मच लौंग और छोटी पीपल की बराबर मात्रा के चूर्ण के साथ पीसकर या चबाकर खाना चाहिये।
आर्युवेदाचार्य ने कहा कि तीन चार पूर्ण विकसित हरे पीपल के पत्ते (फाइकस रेलिजिओसा) लौंग (साइजाईजियम एरोमैंटिगम) के साथ खाने से शरीर बलवान बनता है वहीं छोटी छोटी पीपल (पाइपर लांगम एल) को भूनकर,चबाकर या पीसकर सुबह शाम खाने से किसी भी विषाणु का सामना करने की अद्धुत क्षमता प्राप्त की जा सकती है।
उन्होने कहा कि एक चम्मच कलौंजी -प्याज के बीज (एलियम सेपा) एक एक चम्मच सुबह शाम सेवन से भी रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा किया जा सकता है। उक्त औषधियों को एक साथ चबाकर या पीसकर अथवा सब मिलाकर काढ़ा बनाकर सुबह शाम पूरी मात्रा में सेवन किया जा सकता है। इसके अलावा दो तीन बूंद सरसों का तेल नाक में सुबह शाम डालें और मालिश करें।