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Health

प्रणायाम से मिल सकती है डिप्रेशन से मुक्ति

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Feb 28 2020 1:22PM | Updated Date: Feb 28 2020 1:22PM
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सहारनपुर। अवसाद यानि डिप्रेशन की दशा में व्यक्ति के विचार व भावनाओं की स्थिति निम्नगामी हो जाती है लिहाजा प्राणायाम से इससे मुक्ति पाई जा सकती है। प्रत्येक व्यक्ति कभी न कभी हताशा , निराशा,  उत्साह हीनता एवं थकान का अनुभव करता है। उत्साहहीनता एवं थकान जीवन में  अधिक समय बने रहने की स्थिति ही अवसाद का रूप ले लेती है।
 
योग व्यक्ति को अवसाद से बाहर लाने में मदद करता है। योग गुरू गुलशन कुमार ने कहा कि अवसाद एक मानसिक रोग है इस बीमारी में मानसिक एवं  भावनात्मक उर्जा का क्षय होने से व्यक्ति की क्रियाशीलता एवं कार्य करने की शक्ति घटती जाती है। जीवन में दु:ख, अशांति, उदासी, निराशा, अरूचि एवं  थकान का उत्पन्न होना स्वाभाविक बात है। योग  के माध्यम से अवसाद को निस्संदेह दूर किया जा सकता है । अवसाद ग्रस्त रोगी  में आत्मविश्वास की कमी, विचार व भावनाएं दुर्बल एवं कमजोर पड जाती है।
 
अवसाद स्वास्थ्य के लिए कष्टप्रद है। इससे ग्रसित व्यक्ति अकारण उदास रहता है।  रोगी को किसी प्रकार की खुशी की अनुभूति नहीं होती है। ऐसे व्यक्ति का किसी  काम में मन नही लगता उसकी अभिरूचियां दिन प्रतिदिन घटती जाती हैं। अवसाद  का रोगी अपनी वर्तमान अवस्था के लिए स्वयं को दोषी मानने लगता है। ऐसे मे  कभी कभी रोगी के मन मे आत्महत्या की प्रबल इच्छा उतपन्न होती है। इस प्रकार  का व्यक्ति दूसरी को नुकसान पहुंचाने की बात करता है।
 
अवसाद  में रोगी की नींद का सामान्य क्रम गडबडा जाता है। रोगी मे यौन के प्रति  रूचि घटने लगती है। उसमे  नपुंसकता  एवं बाझपन की शिकायत उत्पन्न होने  लगती है। ऐसे मे योग व प्राणायाम के अभ्यास से शरीर व मन दोनों को सशक्त बनाया जा सकता है । प्राणायाम  प्राणशक्ति का परिशोधन एवं अभिवर्द्धन करने वाली अनूठी प्रक्रिया है। 
 
प्राणायाम,अवसाद के उपचार का सबल एवं कारगर उपाय है। नाडीशोधन और  भ्रामरी प्राणायाम के साथ साथ उष्ण प्रकृति के प्राणायाम के रूप में सुर्यभेदन  और भस्त्रिका विशेष रूप से उपयोगी है। नाडी शोधन प्राणायाम से शरीर एवं नाडीयों की अशुद्धियाँ एवं अवरोध दूर होते है और समस्त नाडियो मे प्राण का प्रवाह सुचारू रूप से होता है। शरीर में उपस्थितकार्बनडाइऑक्साइड के निष्कासन से रक्त परिशुद्ध होता है। भ्रामरी  प्राणायाम का अभ्यास मस्तिष्क का विश्रान्ति देता है। मन के द्वन्द को कम  करके क्रोध, भय, कुण्ठा, बैचेनी आदि के भावो का शमन करके अवसाद के कारणो की  समाप्ति करता है।
 
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