नई दिल्ली। पांच वाम दलों ने मोदी सरकार पर कॉरपोरेट लूट को लगातार बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए आर्थिक मंदी को लेकर देश में जनांदोलन छेड़ने की जनता से अपील की है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, फारवर्ड ब्लाक और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी ने यहाँ राष्ट्रीय सम्मलेन में यह अपील की। सम्मेलन में एक प्रस्ताव पारित कर दस से 16 अक्टूबर तक राष्ट्रव्यापी विरोध धरना प्रदर्शन आयोजित करने का निर्णय लिया गया।
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा महासचिव डी राजा, भाकपा के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य एवं फॉरवर्ड ब्लाक के जी. देवराजन और आरएसपी के क्षितिज गोस्वामी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए जनता से इस आन्दोलन में भाग लेने की अपील करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने करीब सवा दो लाख करोड़ रुपए की करों में छूट उद्योग जगत को दी है लेकिन आत्महत्या करने वाले किसानों के कर्ज़ नहीं माफ किये और बेरोजगारी को दूर करने के लिए कदम नहीं उठाये ताकि जनता की क्रय शक्ति बढे, उलटे राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर और संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाकर देश में गृह युद्ध जैसी स्थिति पैदा कर दी है। उन्होंने कहा कि आज़ादी के बाद अंबानी परिवार ने जितनी संपत्ति बनाई उससे अधिक सम्पत्ति उसने मोदी सरकार के गत पांच वर्ष के कार्यकाल में बनाई है। इसी तरह अडाणी ने भी इस दरमियाँ अपनी संपत्ति चार गुना अधिक की है।
राजा ने कहा कि इस समय देश की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। ऐसी मंदी कभी नहीं आयी थी। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर जो मंदी आयी थी उसमें मनमोहन सिंह की सरकार ने देश को बचा लिया था लेकिन मोदी सरकार अपनी नीतियों के कारण इस मंदी का मुकाबला नहीं कर पा रही। नीति आयोग सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण करने का सुझाव दे रहा और जो लोग सरकार की नीतियों की आलोचना कर रहे हैं, उन्हें देशद्रोही और माओवादी करार दिया जाता है। देश में कश्मीर, असम, सांप्रदायिक ध्रुवीकरण एवं मोबलिंच की घटना से गृह युद्ध की स्थिति पैदा हो गयी है। सम्मलेन में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रही है और करीब करीब मंदी के मुहाने पर खड़ी है। इसकी वजह से उत्पादन में भारी गिरावट आ रही है और रोजगार में अभूतपूर्व कटौती हो रही है, जिसका सबसे अधिक खामियाजा महिलाओं को भुगतना पड़ रहा है।