नई दिल्ली। विराट कोहली ने जबसे T20 कप्तानी छोड़ने का ऐलान किया था तभी से एक विवाद शुरू हो गया था। और उस विवाद ने तेजी पकड़ी भारत के T20 वर्ल्ड कप से बाहर होने के बाद। विवाद ये था कि क्या टीम में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है ? सेलेक्टर्स और विराट कोहली क्या अलग-अलग रास्ते पर हैं ? क्योंकि टीम के सेलेक्शन पर काफी सवाल खड़े हुए थे। विराट हार्दिक को साथ नहीं ले जाना चाहते थे लेकिन सेलेक्टर्स का दबाब उन पर था। इसके बाद जैसे तैसे T20 वर्ल्ड कप खत्म हुआ। विराट कोहली आराम पर चले गए। अब जब बारी साउथ अफ्रीका दौरे की आई तो टीम चुनने के दिन ही विराट कोहली से वनडे की कप्तानी ले ली जाती है। जो पहले विराट कोहली साफ़ कर चुके थे कि वो टेस्ट और वनडे की कप्तानी करते रहेंगे। ऐसे में अचानक से हटाए जाने पर ये विवाद और बड़ा हो गया। हालाँकि BCCI प्रेसिडेंट सौरव गांगुली ने इस पर खुल कर अपनी राय रखी। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि सफ़ेद गेंद क्रिकेट में दो कप्तान भारत के अंदर नहीं हो सकते हैं। BCCI ने विराट से कहा था कि वो T20 की कप्तानी ना छोड़ें, लेकिन विराट नहीं माने तो मजबूरन BCCI को विराट से कप्तानी लेनी पड़ी।
सौरव की इस बात पर अगर गौर करें तो कुछ हद तक ये तर्क ठीक भी लगता है क्योंकि वनडे और T20 की टीम में लगभग एक जैसे ही प्लेयर्स होते हैं। वहीं बात टेस्ट की करें तो टेस्ट टीम के लिए प्लयेर्स अलग होते हैं। तो ऐसे में दो कप्तान के अंडर प्लेयर्स कैसे खेल सकते हैं। और भारत देश में दो कप्तान का फार्मूला पहले ही फ्लॉप हो चुका है। अगर आप आंकड़ों की बात करेंगे तो विराट कोहली बस कप्तानी के एक मोर्चे पर वो फेल हुए हैं यानी कोई भी ICC की ट्रॉफी वो टीम को नहीं दिला पाए हैं। हालंकि वनडे और T20 की जीत प्रतिशत उनकी पिछले कई कप्तानों से अच्छी है। टेस्ट में जीत प्रतिशत 60 के करीब है वहीं वनडे क्रिकेट में ये बढ़कर 72 के करीब हो जाता है। विराट कोहली अपनी आक्रामक शैली के लिए जाने जाते हैं। लेकिन अभी तक इस मामले में उनकी तरफ से कोई भी सफाई नहीं आई है। अब देखते हैं विराट कोहली BCCI के इस बयान पर अपनी राय क्या रखते हैं।