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धोनी को टॉप आर्डर में ज्यादातर खेलना चाहिए था: गांगुली

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 25 2020 12:37AM | Updated Date: Aug 25 2020 12:37AM
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नई दिल्ली। पूर्व कप्तान और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष सौरभ गांगुली का मानना है कि पूर्व कप्तान और विकेटकीपर बल्लेबाज महेंद्र सिंह धोनी को ज्यादातर टॉप आर्डर में खेलना चाहिए था।  गांगुली ने स्पोटर्स तक से कहा कि उन्हें पता था कि धोनी में बड़े शॉट्स मारने की क्षमता है, इसलिए उन्होंने अपनी कप्तानी में धोनी को शीर्ष क्रम में खेलने उतारा था। गांगुली ने कहा, ‘‘जब मैंने संन्यास लिया था तो मैंने कई बार अपने विचार रखे थे कि धोनी को ऊपरी क्रम में खेलना चाहिए।’’ धोनी ने गांगुली के नेतृत्व में ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया था।
 
धोनी अपने करियर में 16 बार तीसरे नंबर खेलने उतरे थे और इस स्थान पर उनका औसत 82.75 का रहा था। धोनी जब अप्रैल 2005 में अपना पांचवां वनडे खेल रहे थे तो उन्हें पाकिस्तान के खिलाफ विशाखापत्तनम में तीसरे नंबर पर उतारा गया था और उन्होंने 148 रन की विस्फोटक पारी खेली थी। उसी साल बाद में जयपुर में धोनी ने श्रीलंका के खिलाफ 299 के लक्ष्य का पीछा करते हुए तीसरे नंबर पर उतरकर 145 गेंदों पर 183 रन की जबरदस्त पारी खेली थी।
 
उस समय लक्ष्य का सफलतापूर्वक पीछा करते हुए यह वनडे में सबसे बड़ी पारी थी।  अपनी कप्तानी में टीम को दो विश्वकप जिताने वाले धोनी ने गत 15 अगस्त को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा की थी। गांगुली ने कहा कि धोनी में बड़े शॉट्स खेलने की काबिलियत थी और इसलिए उन्हें बल्लेबाजी क्रम में ऊपर लाना और स्वतंत्रता से अपना खेल खेलने देना जरूरी था। धोनी हालांकि अपने करियर में अधिकतर समय मध्य क्रम में खेले और उन्हें दुनिया का सर्वश्रेष्ठ फिनिशर माना जाता है। 
 
गांगुली ने बताया कि उन्होंने 2005 में चैलेंजर ट्रॉफी के दौरान मुंबई में इंडिया सीनियर की ओर से खेलते हुए धोनी को शीर्ष क्रम पर खेलाने का फैसला लिया था और धोनी ने इंडिया बी के खिलाफ उस मुकाबले में 96 गेंदों में नाबाद 102 रन बनाए थे और अपनी टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका अदा की थी। गांगुली ने कहा, ‘‘चैलेंजर ट्रॉफी के दौरान धोनी ने मेरी टीम के लिए खेलते हुए ओपंिनग की थी और शतक जड़ा था, तभी मुझे उनकी काबिलियत के बारे में पता चला था।
 
उन्हें विशाखापत्तनम में तीसरे नंबर पर खेलने का मौका मिला और उन्होंने वहां भी शतक जड़ा। जब भी उन्हें ज्यादा ओवर खेलने का मौका मिला उन्होंने बड़ा स्कोर बनाया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘एक खिलाड़ी तब बनता है जब उसे सही क्रम में खेलने भेजा जाए। आप बल्लेबाज को निचले क्रम में खेलाकर बड़ा खिलाड़ी नहीं बना सकते।
 
मेरा हमेशा से मानना रहा है कि आप किसी क्रिकेटर को ड्रेसिंग रुम के अंदर बैठाकर बड़ा खिलाड़ी नहीं बना सकते।’’ पूर्व कप्तान ने कहा, ‘‘धोनी में जो काबिलियत थी, खासकर छक्के मारने की वो दुर्लभ थी। उन्होंने अपना करियर खत्म होते-होते अपने खेल में परिवर्तन कर लिया था। लेकिन जब धोनी युवा थे तो यह जरुरी था कि उन्हें स्वतंत्र होकर खेलने दिया जाए।’’ 
 
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