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अटल जी से प्रभावित होकर चेतन चौहान ने रखा था राजनीति में कदम

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 17 2020 3:13PM | Updated Date: Aug 17 2020 3:13PM
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अमरोहा। भारत रत्न एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की ईमानदार राजनेता की छवि से प्रेरित होकर खेल की दुनिया से राजनीति के गलियारे में कदम रखने वाले चेतन चौहान ने संयोग से वाजपेयी की दूसरी पुण्यतिथि के मौके पर दुनिया को अलविदा किया। 
 
क्रिकेट की पिच पर करीब एक दशक तक दुनिया भर के खतरनाक गेंदबाजों की पहली गेंद का सामना करने वाले जीवट सलामी बल्लेबाज ने कभी एक साक्षात्कार में स्वीकार किया था कि वह वाजपेयी को अपना राजनीतिक गुरू मानते हैं और उन्ही के आदर्शो पर चलते हुए राजनीति में शुचिता स्थापित करना चाहते हैं। वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरूण जेटली से भी काफी प्रभावित थे और कई मौकों पर उन्होने खुलकर इन दो राजनेताओं की तारीफ की थी। उन्हे राजनीति में लाने वाले दिवंगत श्री अरूण जेटली ही थे
 
16 अगस्त 2018 को श्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हुआ था तो कैबिनेट मंत्री चेतन चौहान ने स्थानीय पत्रकारों से यह राज साझा करते हुये कहा था  अटल बिहारी वाजपेयी मेरे गुरु हैं तथा हर साल उनके जन्मदिन पर जाकर शुभकामनाएं देते हैं तथा आशीर्वाद लेते हैं। चेतन चौहान के व्यवहार एवं बोलचाल में अपने गुरु की झलक भी दिखती थी। श्री वाजपेयी की तरह वह मृदभाषी, शांत स्वभाव के थ और हर एक से हंस कर बात करते थे और आत्मीयता से मिलते थे। चौहान ने संभवत अपने गुरु को खुद में समाहित कर लिया था। 
 
चेतन चौहान के दिन की शुरुआत लौकी के जूस से होती थी। कम मिर्च वाला भोजन उन्हे पसंद था। 73 वर्ष की आयु में भी वह अपने स्वास्थ्य को लेकर बड़े ही गंभीर रहते थे। वह नियमित योग व व्यायाम तो करते ही थे लेकिन अपने समर्थकों को भी योग करने की सलाह देते थे। 
कैबिनेट मंत्री चेतन चौहान की दिनचर्या योग व्यायाम से ही शुरू होती थी। उनके साथ पिछले तीस साल से जुड़े रामवीर सिंह गुर्जर ने बताया कि वह चाहे रात को कितनी भी देरी से सोए लेकिन सुबह पांच बजे उठकर मार्निंग वाक के साथ व्यायाम व योग अवश्य करते थे। वह करीब एक घंटा योग को देते थे। उन्होंने इसे अपनी दिनचर्या में शामिल कर रखा था। जो भी कार्यकर्ता या समर्थक उनसे मिलने आते थे। सबसे पहले वो उन्हें नियमित योग करने की सलाह देते थे।     
 
अमरोहा से राजनीति के सफर की शुरूआत में चौहान को पार्टी के ही नेताओं से भितरघात का सामना करना पड़ा था। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर को राजनीति से दूर रखने के लिये उनके विरोधियों ने लाख जतन किये लेकिन युवा पीढ़ी ने उन्हें हाथों हाथ लिया और उनकी जीत का सितारा बुलंद होता गया। 1991 में अमरोहा लोकसभा सीट से चुनाव जीतने के बाद आयोजित एक सम्मान समारोह में उन्होंने कहा था कि वह सलामी बल्लेबाज रहे हैं और अब सियासी पारी की ओपनिंग करते हुए छक्का मारा था। छक्के से उनका आशय अपनी अमरोहा लोकसभा सीट के साथ पांचों विधानसभा सीट पर भाजपा की जीत से था। वह दौर राम मंदिर लहर का था। उस समय अमरोहा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत हसनपुर, गंगेश्वरी, अमरोहा, के साथ बिजनौर जिले के धामपुर व स्योहारा विधानसभा क्षेत्र आते थे।
 
चेतन चौहान आखिरी बार पांच जुलाई को हाईवे स्थित अपनी फैक्ट्री में गए थे। वहां उन्होंने कोर कमेटी के साथ बैठक की थी। जिसमें विधायक राजीव तरारा, महेंद्र खड़गवंशी, जिला पंचायत अध्यक्ष सरिता चौधरी के अलावा अन्य लोग भी शामिल थे। वहां पर भी उन्होंने बैठक शुरू होने से पहले सभी को स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने की बात कही थी। गजरौला इंडस्ट्रीज वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे चेतन चौहान के निधन की खबर पर आरएसीएल गेयरटेक लिमिटेड के उपाध्यक्ष सरदार गुरुसरन सिंह, जुबिलेंट लाइफ साइंसेज के यूनिट हेड राधेश्याम सिंह समेत कई औद्योगिक इकाइयों के प्रबंधन अकेला महसूस कर रहा है।
 
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