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Sport

आजादी की 43वीं वर्षगांठ की पूर्वसंध्या पर सचिन ने बनाया था अपना पहला शतक

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 14 2020 6:16PM | Updated Date: Aug 14 2020 6:18PM
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नई दिल्ली। भारत जब अपनी आजादी की 43वीं वर्षगांठ मनाने की तैयारियों में जुटा था तब 17 साल का मासूम किशोर सचिन तेंदुलकर हजारों मील दूर अंग्रेजों को उनकी धरती पर क्रिकेट का कड़ा सबक सिखा रहा था। सचिन ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में टेस्ट मैचों में अपना पहला शतक 14 अगस्त 1990 को इंग्लैंड के खिलाफ मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान पर लगाया था। वरिष्ठ खेल पत्रकार धर्मेंद्र पंत ने अपनी लोकप्रिय किताब सचिन के 100 शतक में इस शतक का जीवंत विवरण किया है।
 
क्रिकेट की बाइबिल विजडन ने इस शतक के बारे में लिखा था, ‘‘ उस मैच में कुल छह शतक लगे थे लेकिन उनमें तेंदुलकर के सैकड़े से बेजोड़ कोई नहीं था जिसने भारत को आखिरी दिन शाम हार से बचाया था।’’ तेंदुलकर ने श्रृंखला के दूसरे टेस्ट मैच की दूसरी पारी में नाबाद 119 रन की बेमिसाल पारी खेली थी। उन्होंने 225 मिनट क्रीज पर बिताकर 189 गेंद खेली तथा 17 चौके लगाये थे। अपनी इस शतकीय पारी से उन्होंने भारत को संकट से बाहर निकालने की जो शुरुआत की थी उसे वह आगे कई साल तक बखूबी निभाते रहे थे।
 
भारत ने उस मैच में 408 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए 183 रन पर चोटी के छह बल्लेबाज गंवा दिये थे लेकिन तेंदुलकर के इस पहले शतक से भारत मैच ड्रा कराने में सफल रहा था। तब तेंदुलकर केवल 17 साल 112 दिन के थे और वह सबसे कम उम्र में टेस्ट शतक जड़ने वाले दुनिया के दूसरे बल्लेबाज बने थे। उस समय यह रिकार्ड पाकिस्तान के मुश्ताक मोहम्मद के नाम पर है जिन्होंने 1961 में भारत के खिलाफ जब शतक लगाया था तब उनकी उम्र 17 साल 82 दिन थी।
 
अब टेस्ट क्रिकेट में यह रिकार्ड बंगलादेश के मोहम्मद अशरफुल और एकदिवसीय मैचों में पाकिस्तान के शाहिद अफरीदी के नाम पर है। तेंदुलकर की यह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 21वीं पारी और नौ टेस्ट मैचों में 14वीं पारी थी। पाकिस्तान के खिलाफ 15 नवंबर 1989 को टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण करने के बाद वह 12 फरवरी 1990 को शतक के बेहद करीब पहुंचे थे लेकिन न्यूजीलैंड के खिलाफ नेपियर में वह केवल 12 रन से शतक से चूक गये थे।
 
भारत की पहली पारी में वह 11 फरवरी को 80 रन बनाकर खेल रहे थे और लग रहा था कि वह सबसे कम उम्र में टेस्ट शतक जड़ने का रिकार्ड अपने नाम कर लेंगे लेकिन दूसरी सुबह जब वह अपने स्कोर आठ रन जोड़ पाये थे तभी डैनी मौरीसन की गेंद पर स्लिप में जान राइट ने उनका कैच लपक दिया था। यही राइट बाद में भारतीय टीम के कोच बने थे।
 
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