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टीम इंडिया में ऐसे पहुंचे थे धोनी, फिल्म में भी नहीं दिखाया गया ये किस्सा; पहली बार खुला राज

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 10 2020 12:10PM | Updated Date: Jun 10 2020 12:10PM
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महेंद्र सिंह धोनी भारतीय क्रिकेट के सबसे सफलतम कप्तान हैं। कप्तानी के अलावा उनकी विकेटकीपिंग और बल्लेबाजी भी लाजवाब है। माही ने क्रिकेट की पिच पर अच्छे-अच्छे गेंदबाजों की बखिया उधेड़ी है। हालांकि झारखंड के इस खिलाड़ी ने काफी संघर्ष के बाद टीम इंडिया में अपना मुकाम हासिल किया। धोनी की बायोपिक फिल्म में भी उनके संघर्ष और टीम इंडिया में सिलेक्शन की कहानी है। मगर वो किसकी वजह से टीम इंडिया की जर्सी तक पहुंचे, ये राज लोगों को पता नहीं है। अब 1983 विश्वकप जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे पूर्व दिग्गज विकेटकीपर बल्लेबाज सैयद किरमानी ने पहली बार धोनी के सिलेक्शन के राज को खोला है। 

सैयद किरमानी टीम इंडिया के चेयरमैन ऑफ सेलेक्टर्स भी रहे हैं। एक बातचीत में उन्होंने 2004 में धोनी के टीम इंडिया में आने के पीछे की कहानी बताई है। किरमानी ने हिंदुस्तान टाइम्स से कहा, “मैंने इससे पहले कभी भी इस बात का खुलासा नहीं किया कि धोनी कैसे टीम इंडिया में सिलेक्ट हुए। मैं और ईस्ट जोन के को सिलेक्स्टर प्रणब रॉय रणजी ट्रॉफी का मैच देख रहे थे। बहुत समय हो गया इसलिए और मैं ठीक ठीक नहीं कह सकता कि वो कौन सा मैच था। लेकिन प्रणब रॉय इसके गवाह हैं।” 

किरमानी ने कहा, “उन्होंने मुझसे कहा कि झारखंड का एक विकेटकीपर बल्लेबाज है जो युवा है और सिलेक्शन के लिए चुना जाना चाहिए। मैंने प्रणब से पूछा कि क्या वो इस मैच में विकेटकीपिंग कर रहा है, उन्होंने बताया कि नहीं, वो इस वक्त फाइन लेग पर है।” इसके बाद किरमानी ने धोनी के 2 सालों का रिकॉर्ड देखा। धोनी के रिकॉर्ड को देखकर किरमानी हैरान रह गए। धोनी ने लगातार रन बनाए थे जो उनकी बल्लेबाजी क्षमता को साबित करते। बिना धोनी की विकेटकीपिंग देखे किरमानी ने चुनने के लिए कह दिया था। इसके बाद माही ने जो किया वो वर्ल्ड क्रिकेट का इतिहास है। 

धोनी के बायोपिक में सिलेक्शन की कहानी दिखाई गई है। इसमें वो सिलेक्टर्स की ओर लंबे-लंबे छक्के मारते दिखते हैं। लेकिन लेकिन उनका सिलेक्शन किसकी वजह से हुआ इसे नहीं दिखाया गया है। धोनी से पहले टीम इंडिया रेगुलर विकेटकीपर बल्लेबाज को लेकर जूझ रही थी। नयन मोंगिया मैच फिक्सिंग की वजह से बाहर हो चुके थे। सबा करीम भी जा चुके थे। दिनेश कार्तिक और पार्थिव पटेल को लेकर असमंजश की स्थिति थी। राहुल द्रविड़ को एक दिवसीय मैचों में विकेटकीपिंग करनी पड़ी। धोनी के आने के बाद भारत को एक विकेटकीपर के रूप में एक दिग्गज बल्लेबाज मिला। 

फाइटर स्पिरिट और आक्रामक बैटिंग से धोनी ने बहुत जल्द ही टीम इंडिया में अपना स्थान पक्का कर लिया। बाद में उन्हें कप्तान भी बनाया गया और धोनी के नेतृत्व में टीम इंडिया ने विश्वकप समेत कई प्रतिष्ठित टूर्नामेंट अपने नाम किए। धोनी की सफलतम कप्तानी और स्ट्रेटजी को लेकर किरमानी ने कहा, एक विकेटकीपर कप्तान की आंख होता है। उसे पता होता है कि फील्डिर्स को कहां-कहां लगाना चाहिए और कैसी गेंदबाजी होनी चाहिए। धोनी ने ऐसा ही किया। धोनी ने अपनी विकेटकीपिंग स्किल्स और बल्लेबाजी की मदद से इस युग के क्रिकेट को बदलकर रख दिया है।

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