नई दिल्ली। कोरोना वायरस के बढ़ते कहर के बीच अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को पटरी पर लाने की तैयारी चल रही है लेकिन गेंद पर लार के इस्तेमाल पर लगाए गए प्रतिबंध को लेकर क्रिकेट जगत दो हिस्सों में बंट गया है। भारत के पूर्व कप्तान और पूर्व लेग स्पिनर अनिल कुंबले के नेतृत्व वाली अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की तकनीकी समिति ने कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए गेंदबाजों के गेंद पर मुंह की लार के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि समिति ने गेंद पर पसीने के इस्तेमाल की इजाजत दे दी थी।
लार पर प्रतिबंध को लेकर दुनिया के पूर्व और मौजूदा गेंदबाजों की राय अलग-अलग हो चुकी है जिन देशों में खिलाड़ियों की ट्रेनिंग शुरू हुई है वहां फिलहाल गेंदबाजों को लार का इस्तेमाल करने से रोका जा चुका है। अधिकतर तेज गेंदबाजों का मानना है कि इससे तेज गेंदबाजों के हाथों से स्विंग और रिवर्स स्विंग जैसा हथियार निकल जाएगा।
कुंबले का कहना है कि गेंद पर मुंह की लार के इस्तेमाल से कोरोना वायरस फैलने का खतरा ज्यादा है और इसी को देखते हुए लंबी चर्चा के बाद इस पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया गया था। कुंबले ने मुंह की लार पर प्रतिबंध को अंतरिम उपाय बताया है। 49 वर्षीय कुंबले ने कहा - मेडिकल सलाह के आधार पर हमने यह माना कि गेंद पर मुंह की लार के इस्तेमाल से वायरस फैलने का खतरा ज्यादा है, इसलिए हमने इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया। हालांकि खिलाड़ियों के लिए ऐसा कर पाना काफी मुश्किल काम होगा क्योंकि उन्हें अपने करियर की शुरुआत से ही यह आदत लगी हुई है।