नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने रिलायंस और फ्यूचर समूह के बीच हुए बहुचर्चित करार मामले में अमेरिकी कंपनी अमेजॅन के पक्ष में शुक्रवार को फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन और न्यायमूर्ति बी आर गवई की खंडपीठ ने अमेजॅन की याचिका स्वीकार कर लिया। इसके साथ ही रिलायंस और फ्यूचर समूह के बीच 24 हजार 713 करोड़ रुपये के सौदे पर रोक लग गयी। खंडपीठ ने कहा कि सिंगापुर के मध्यस्थ द्वारा पारित आपातकालीन निर्णय भारत में लागू करने योग्य है। यह भारतीय कानूनों के तहत वैध है।
गौरतलब है कि सिंगापुर के मध्यस्थ ने इस सौदे पर रोक लगाई थी। पीठ ने कहा, ‘‘सिंगापुर के आपातकालीन मध्यस्थ का आदेश मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम की धारा 17 के तहत लागू करने योग्य है।’’ खंडपीठ ने 29 जुलाई को अमेजॉन के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम और फ्यूचर रिटेल के लिए पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे के लिए बड़े पैमाने पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
शीर्ष अदालत ने इस बात का फैसला लेना था कि सिंगापुर के आपातकालीन पंचाट का फ्यूचर को रिलायंस के साथ विलय सौदे से रोकने का फैसला भारतीय कानून के हिसाब से वैध है या नहीं। अमेजॅन ने रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप के बीच हुई डील का अलग-अलग अदालतों में विरोध किया था।