नई दिल्ली। कोरोना वायरस का खौफ खत्म हुआ नहीं कि एक और संकट देश के सामने खड़ा हो गया है। ये संकट है ब्लैक फंगस, जिसे म्यूकरमायोसिस भी कहते हैं। चिंता की बात ये है कि कोरोना से संक्रमित मरीज या इससे ठीक हुए मरीज में ब्लैक फंगस का संक्रमण ज्यादा देखा गया है। बता दें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से ब्लैक फंगस संक्रमण (म्यूकरमाइकोसिस) को महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत अधिसूच्य बीमारी बनाकर सभी मामलों की सूचना देने आग्रह किया है। मंत्रालय ने यह भी कहा है कि इस संक्रमण से कोविड-19 रोगियों में दीर्घकालिक रुग्णता और मौतों की संख्या में वृद्धि हो रही है। केंद्रीय रसायन व उर्वरक राज्यमंत्री मनसुख मंडाविया ने बृहस्पतिवार को बताया कि ब्लैक फंगस या म्यूकोरमाइकोसिस की दवा 'एम्फोटेरिसिन बी' की देश में किल्लत जल्द दूर हो जाएगी। तीन दिन में पांच और दवा कंपनियों को इसके उत्पादन की इजाजत दे दी गई है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि अभी छह कंपनियां यह दवा बना रही थीं। इनके अलावा पांच और कंपनियों को दवा बनाने की इजाजत दे दी गई है। मौजूदा कंपनियां भी उत्पादन बढ़ाना शुरू कर चुकी हैं। इसके साथ ही भारतीय कंपनियों ने इस दवा के छह लाख वॉयल्स के आयात का आर्डर भी दे दिया है।
इन पांच और कंपनियों को मिली इजाजत
एमक्योर फार्मास्यूटिकल्स
नाटको फार्मा
गुफिक बायो साइंसेस लि।
एलेम्बिक फार्मास्यूटिकल्स
लायका फार्मास्यूटिकल्स
इससे पहले इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर देश की दवा कंपनियों को ब्लैक फंगस या म्यूकोरमाइकोसिस की दवा बनाने की इजाजत देने की मांग की है। एसो। ने पत्र में आग्रह किया कि पीएम डीसीआरजी को निर्देश दें कि वह देश में दवा के निर्माण के लिए योग्य फार्मास्यूटिकल्स कंपनियों को आपातकालीन या अल्पकालिक अनुमति दें। इससे बीमारी के इलाज में मदद मिल सकेगी।