नई दिल्ली। अगर आपका कोई होम लोन चल रहा है और आप उसे किसी और लेंडर के पास ट्रांसफर कराने की सोच रहे हैं तो आपके दिमाग में कई तरह के सवाल चल रहे होंगे। मसलन, इसका प्रोसेस क्या है या इसमें कितना खर्च आता है इत्यादि। Jagran Money Mantra के इस लेटेस्ट अंक में हमने टैक्स एंड इंवेस्टमेंट एक्सपर्ट Balwant Jain से इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की। जैन ने बताया कि होम लोन ट्रांसफर करते समय सबसे ज्यादा हमें लोन की कुल लागत में आने वाली कमी को ध्यान में रखना चाहिए। इस बातचीत के संपादित अंश इस प्रकार हैं
बलवंत जैनः अगर किसी व्यक्ति का किसी बैंक या एनबीएफसी में कोई होम लोन (Home Loan) चल रहा है, तो उसे मार्केट में चल रहे ब्याज दर को ध्यान में रखना चाहिए। अगर उसे लगता है कि वह जिस ब्याज दर पर लोन का भुगतान कर रहा है, उससे कम दर पर अन्य लेंडर लोन दे रहे हैं तो उसे लोन ट्रांसफर कराने के बारे में सोचना चाहिए। इसकी वजह यह है कि होम लोन एक लंबी अवधि की जवाबदेही है और ब्याज दर में मामूली अंतर से भी आपके द्वारा जमा की जाने वाली कुल राशि में बहुत फर्क आ जाता है।
दूसरा, कई बार लोन लेते समय आय के डॉक्यूमेंट पूरे नहीं होने या प्रोपर्टी के पूरे दस्तावेज नहीं होने या कम एलिजिबिलिटी होने की वजह से हम नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों से ऊंची दरों पर कर्ज ले लेते हैं। इसकी वजह यह है कि तब हमारे पास ज्यादा विकल्प नहीं होते हैं। लेकिन दो-तीन साल तक समय पर लोन के भुगतान या फिर जरूरी डॉक्यूमेंट मिल जाने के बाद हम अपनी लोन की कुल लागत घटाने के लिए हमें लोन ट्रांसफर कराने के बारे में सोचना चाहिए।
सवालः Home Loan Transfer कराने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
बलवंत जैनः अगर कोई व्यक्ति होम लोन ट्रांसफर कराने के बारे में सोच रहा है तो उसे यह ध्यान में रखना चाहिए कि जिस बैंक से उसका लोन चल रहा है, वहां लोन के प्री-पेमेंट पर किसी तरह का पेनाल्टी देय तो नहीं है। आरबीआई के गाइडलाइंस के मुताबिक बैंक प्रीपेमेंट या रिपेमेंट के लिए किसी तरह का शुल्क नहीं ले सकते हैं। एनबीएफसी कुछ मामलों में ये चार्जेज लगा सकते हैं। वहीं, अगर आपने फिक्स रेट पर लोन लिया है तो बैंक आपसे प्रीपेमेंट या रिपेमेंट चार्ज ले सकते हैं। तो आपको यह ध्यान में रखना होगा कि लोन के प्री-पेमेंट या रिपेमेंट की लागत कितनी आती है।
इसके अलावा आपको ट्रांसफर में लगने वाली प्रोसेसिंग फीस पर भी गौर करना होगा। आपको इस बात पर भी गौर करना चाहिए कि आपके लोन की कुल कितनी अवधि बची हुई है। अगर आपकी लंबी अवधि का लोन बचा हुआ है तो आपको लोन ट्रांसफर कराना ही चाहिए। लेकिन अगर थोड़ी अवधि ही बची है और आपको लोन ट्रांसफर में आने वाली लागत ब्याज दर में कमी से होने वाली बचत से ज्यादा है तो फिर इस पूरी कवायद का कोई मतलब नहीं रह जाता।