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लीची की भरपूर फसल लेने के लिए किसान बरतें सावधानी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Mar 31 2020 12:13PM | Updated Date: Mar 31 2020 12:14PM
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नई दिल्ली। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र मुजफ्फरपुर बिहार ने इस बार लीची की बंपर फसल की संभावना के मद्देनजर किसानों से कुछ सावधानी बरतने का अनुरोध किया है। लीची अनुसंधान केन्द्र ने कहा है कि इस वर्ष लीची की फसल की अच्छी पैदावार होने की संभावना है। लीची की शाही किस्म में सरसों के आकार के दाने लग गए हैं जबकि चाइना किस्म में अभी दाने लगने शुरू हुए हैं। केन्द्र के निदेशक विशाल नाथ ने बताया कि तापमान बढ़ना शुरू हो गया है। 

लीची के बाग में उचित देख रेख कि आवश्यकता है। उन्होंने लीची की भरपूर फसल लेने के लिए एक हेक्टेयर के बाग में कम से कम मधुमक्खी के 15 बक्से लगाने की भी सलाह दी है। डॉ विशाल नाथ ने बताया कि लीची परप्रागी फÞसल है और मधुमक्खी पालन करने से परागन की प्रक्रिया बेहतर ढंग से होती है। इससे लीची की फसल की पैदावार 30 प्रतिशत तक बढ़ जाती है और प्रति हेक्टेयर आठ से दस क्विंटल शहद का भी उत्पादन हो जाता है। 

लीची के बाग में नमी की कमी होने पर हल्की सिंचाई करने के साथ ही जमीन को सूखी पत्तियों या घास फूस से ढकने की सलाह दी गई है। फूल लगने के समय किसी प्रकार के छिड़काव कि सलाह नहीं दी गई है। बिहार, उत्तर प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल, झारखंड, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में लीची की फल को गिरने से बचाने के लिए प्लानोफिक्स का छिड़काव लाभदायक होगा। प्लानोफिक्स दो एमएल रसायन को पांच लीटर पानी में मिलाकर पेड़ पर छिड़काव करना चाहिए। चाइना किस्म में यह छिड़काव दस से 15 अप्रैल तक करना चाहिए। 

अच्छी पैदावार के लिए 15 अप्रैल तक सिंचाई के साथ प्रति पेड़ 300 ग्राम यूरिया और 200 ग्राम पोटाश का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। संस्थान ने कीट नियंत्रण के लिए भी सुझाव दिए हैं। फल छेदक कीट से बचाव के लिए थियाक्लॉप्रिड 0.75 एमएल या नोवालुरान 1 का पांच एमएल एक लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। इसके साथ स्टीकर अवश्य डालना चाहिए। फल को फटने से बचाने के लिए 15 अप्रैल तक बोरेक्स चार ग्राम प्रति लीटर पानी में डालकर इसका छिड़काव करना चाहिए। रासायनिक दवाओं का उपयोग उचित नमी की स्थिति में ही करना चाहिए और तेज हवा के समय इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए। 

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