मुंबई। टोक्यो ओलंपिक पूरा होने के बाद इसमें शामिल होने गए खिलाड़ी वतन लौट चुके हैं। भारत के नाम ओलंपिक में अब तक के सबसे ज्यादा मेडल जीतने का रिकॉर्ड छप चुका है। लेकिन, इस बार के ओलंपिक में नीरज चोपड़ा के स्वर्णिम भाला फेंक के अलावा करोड़ों भारतीयों की निगाहें जिस खेल पर सबसे ज्यादा टिकी रहीं, वह था हॉकी। आज के बाइस्कोप की फिल्म ‘चक दे इंडिया’ भी हॉकी पर ही आधारित है। हिंदी सिनेमा की चार ट्रेंड सेटर फिल्में ‘कंपनी’, ‘बंटी और बबली’, ‘खोसला का घोसला’ और ‘चक दे इंडिया’ एक ही लेखक जयदीप साहनी ने लिखी हैं।
जयदीप के खाते में हिंदी सिनेमा की दो बड़ी फ्लॉप फिल्में भी दर्ज हैं, ‘आ जा नचले’ और ‘रॉकेट सिंह- सेल्समैन ऑफ द ईयर’। ‘चक दे इंडिया’ की जहां तक बात है तो जयदीप ने कहीं अखबार में एक छोटी सी खबर पढ़ी 2002 राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय महिला हॉकी टीम के गोल्ड मेडल जीतने की। इस खबर को तान कर उन्होंने फिल्म लिख तो ली लेकिन जब इसे लेकर वह टीम के कोच महाराज कृष्ण कौशिक के पास पहुंचे तो उन्होंने जयदीप को मीर रंजन नेगी से मिलने को कहा। नेगी पर 1982 एशियाई खेलों में पाकिस्तान के हाथों जानबूझकर हार जाने का आरोप लगा था। 2002 राष्ट्रमंडल खेलों में और उससे पहले 1998 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम के नेगी गोलकीपिंग कोच रहे।