मुंबई।14 फेरे दर्शक को एक के बाद एक दो शादियों के ताने-बाने में उलझाए रहती है और तेज गति से चलती है। फिल्म में कसावट है और निर्देशन भी अच्छा है। कहीं-कहीं आपको थोड़ा कनफ्यूजन हो सकता है लेकिन बात उलझती नहीं है। गौहर खान, जमील खान और विनीत कुमार भी 14 फेरे में अपने रंग में नजर आते हैं। बिहार का राजपूत लड़का संजय उर्फ संजू और जाट की छोरी अदिति उर्फ अदू एक ही कॉलेज में पढ़ते हैं। जल्द ही दोनों में प्यार हो जाता है और दोनों लिव-इन रिलेशनशिप में आ जाते हैं। दोनों साथ ही दिल्ली की एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम भी करने लगते हैं। लेकिन बात अटकती है आकर शादी पर। दोनों इस वास्तविकता से बेखबर नहीं हैं कि उनके माता-पिता इस अंतर्जातीय शादी को अपनी मंजूरी नहीं देंगे। एक ओर संजू के पिता कन्हैया लाल (विनीत कुमार) जहानाबाद में बैठे बैठे अपने बेटे के लिए लड़की देखते रहते हैं। वहीं, अदिति के पिता लव मैरिज के नाम से भी भड़क उठते हैं। कहानी "तू क्यों सच के पिंजरे में बंधा है, धर्म के लिए तो भगवान ने भी स्वांग रचा था, तू क्यों भूल गया।
" एक नाटक के दौरान ये संवाद सुनते ही संजू के दिमाग में शादी की विकट परिस्थिति से जूझने का आइडिया आता है। संजू और अदिति मिलकर एक स्वांग यानि की नाटक की तैयारी करते हैं। जिसमें वह नकली मां- बाप की मदद से दो बार शादी करेंगे। पहले संजू अपने नकली मां-बाप के साथ जाकर अदिति से धूमधाम से शादी करेगा और फिर अदिति अपने नकली मां- बाप बनाकर संजू के घरवालों से मिलेगी और फिर से दोनों की शादी होगी। इस गोलमाल वाली योजना को अंजाम देने के लिए, वह 'दिल्ली की मेरिल स्ट्रीप' जुबीना (गौहर खान) की मदद लेते हैं, जो थियेटर में संजू की सह- कलाकार होती है। वहीं, नकली पिता बनने के लिए राजी होते हैं थियेटर के ही महान कलाकार अमय (जमील खान)। लेकिन यह प्लान जितनी आसानी से बनाया गया, क्या पूरा भी हो पाएगा?