मुम्बई। बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या मामले की जांच कर रही सीबीआई को तीन दिन में अभी तक ऐसे कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं जिससे इसे हत्या करार दिया जा सके। लेकिन हड़बड़ी में हुए पोस्टमार्टम से केंद्रीय जांच एजेंसी का शक जरूर बढ़ता जा रहा है। इससे मुंबई पुलिस भी सवालों के घेरे में आ गई है और सुशांत के मौत की गुत्थी भी उलझती जा रही है। सुशांत सिंह 14 जून को बांद्रा स्थित माउंट ब्लैंक अपार्टमेंट की 601 डुप्लेक्स फ्लैट में मृत पाए गए थे। उसी दिन कूपर हास्पिटल में रात के समय उनके शव का पोस्टमार्टम किया गया था।
सीबीआई टीम ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट हासिल करने के बाद कूपर अस्पताल के उन डॉक्टरों से पूछताछ की है जिसने सुशांत के शव का पोस्टमार्टम किया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार डॉक्टरों ने जांच टीम को बताया कि मुंबई पुलिस के कहने पर जल्दबाजी में पोस्टमार्टम किया गया था। बतातें हैं कि डॉक्टरों के इस बयान ने सीबीआई के शक को यकीन में बदल दिया है कि सुशांत सिंह के साथ कुछ जरूर गड़बड़ी हुई है। इससे कई सवाल उठ खड़े हुए हैं जिसका जवाब तलाशने के लिए सीबीआई के अधिकारी बेताब है।
खास बात यह है कि जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट की खामियों को लेकर सीबीआई के अधिकारियों ने बांद्रा पुलिस से सवाल किया तो बताया गया कि वे फाइनल रिपोर्ट का इंतजार कर रहे थे। चूंकि पोस्टमार्टम डॉक्टरों के पैनल ने किया था इसलिए उन्हें इसमें कोई गड़बड़ी नहीं लगी। सुशांत सिंह राजपूत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कई खामियां हैं। सुशांत सिंह की मौत की वजह फांसी लगने से दम घुटना बताया गया है। वहीं, रिपोर्ट में उनके गले पर लिगेचर मार्क होने की बात कही गई है।
इसे सामान्य भाषा में गहरा निशान कहा जाता है। ऑटोप्सी रिपोर्ट में भी इसका जिक्र है। लेकिन अहम सवाल यह है कि दिशा सालियान का पोस्टमार्टम दो दिन बाद हुआ था तो सुशांत का पोस्टमार्टम में जल्दबाजी क्यों की गई। सुशांत के गले पर बने निशान और कपड़े में अंतर क्यों है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत के वक्त का जिक्र क्यों नहीं है। आमतौर पर शाम ढलने के बाद पोस्टमार्टम नहीं होता लेकिन रात में पोस्टमार्टम हुआ। आखिरकार, मुंबई पुलिस को पोस्टमार्टम के लिए इतनी जल्दबाजी क्यों थी।