भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने ससुर घनश्यामदास मसानी 'बाबूजी' के प्रति भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए आज कहा कि उन्होंने 'राम' नाम लेते हुए एक झटके में सिद्ध पुरुष की भांति अपने नश्वर शरीर को त्याग दिया। चौहान ने ट्वीट में लिखा है 'मृत्यु अवश्यंभावी है, अमर होकर कोई नहीं आया, लेकिन बाबूजी जैसी मुक्ति सौभाग्यशाली लोगों को मिलती है। राम नाम लेते हुए बाबूजी ने एक झटके में सिद्ध पुरुष की भांति अपने नश्वर शरीर को त्याग दिया।
वे लगातार भगवान की भक्ति में लीन रहते थे।' चौहान के ससुर एवं श्रीमती साधना सिंह चौहान के पिता घनश्यामदास मसानी का आज गोंदिया (महाराष्ट्र) में अंतिम संस्कार किया गया। चौहान, श्रीमती चौहान, उनके पुत्र और अन्य परिजन भी अंतिम संस्कार में शामिल हुए। चौहान ने अंतिम यात्रा के दौरान मसानी को कंधा दिया। मसानी का कल शाम यहां एक निजी अस्पताल में हृदयाघात के कारण निधन हो गया था। वे 88 वर्ष के थे।
मसानी की पार्थिव देह को एयर एंबूलेंस से गृहनगर गोंदिया ले जाया गया, जहां उनकी अंत्येष्टि की गयी। चौहान ने उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उन्होंने पिछले 28-29 वर्षों के दौरान बाबूजी के व्यवहार में अहंकार कभी नहीं देखा। वे पावन हृदय से जीवन जीते हुए सभी के प्रति सहज बने रहे। जीवन के अंतिम क्षणों तक उनके चेहरे पर सौम्य और सहज भाव परिलक्षित होते रहे। चौहान ने कहा कि बाबूजी ने बीमारियों से लड़ते हुए अपनी जिजीविषा बनाए रखी।
राष्ट्रवादी विचारधारा के प्रबल समर्थक बाबूजी 88 वर्ष की आयु में भी वैचारिक रूप से सक्रिय थे। वे व्हीलचेयर पर थे, लेकिन हाल ही में दीपावली पूजा में भी शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें उनका स्रेह जीवन भर मिला। उन्होंने बाबूजी की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की है।
मसानी की अंत्येष्टि गोंदिया के पिंडकेपार स्थित मोक्षधाम में की गयी। बालाघाट के पुलिस महानिरीक्षक के पी व्यंकटेश्वर राव, कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक भी अंत्येष्टि में शामिल हुए। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा, प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत, राज्य मंत्रिमंडल के सदस्यों, अन्य नेताओं और गणमान्य लोगों ने मसानी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की है।