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पाठ्यक्रम हिन्दी में प्रारंभ करने के प्रयास फिर से होंगे- CM शिवराज

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 14 2020 6:41PM | Updated Date: Sep 14 2020 6:48PM
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भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा सहित अन्य पाठ्यक्रम हिन्दी में प्रारंभ करने के प्रयास फिर से होंगे। चौहान ने आज अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय भोपाल के ग्राम मुगालिया कोट, विदिशा रोड में निर्मित नए भवन का वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से लोकार्पण किया। लोकार्पण कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने लखनऊ से वीडियो कान्फ्रेंस द्वारा की।
 
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रूप में विधानसभा अध्यक्ष रामेश्वर शर्मा, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, सांसद विष्णुदत्त शर्मा, सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर उपस्थित हुए।  चौहान ने कहा कि हिन्दी विश्वविद्यालय द्वारा चिकित्सा शिक्षा पाठ्यक्रम हिन्दी में प्रारंभ करने और अभियांत्रिकी की हिन्दी में प्रकाशित पुस्तकों को मान्यता के संबंध में प्रयास किए जाएंगे। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से पूर्व में भी हिन्दी में चिकित्सा शिक्षा पाठ्यक्रम की अनुमति प्राप्त करने के प्रयास किए गए थे।
 
यह प्रयास पुन: करते हुए ग्रामीण क्षेत्र से हिन्दी माध्यम से स्कूली शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। लोकार्पण कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सफल अमलीकरण में मध्यप्रदेश अन्य राज्यों का दिशा दर्शन करें, इसके लिए शिक्षा व्यवस्था में बदलाव करना होगा।
 
परिवर्तन के लिए शिक्षकों, सिखाने वालों की सोच में बदलाव जरूरी है। उन्होंने कहा कि हिंदी और विज्ञान के शिक्षकों को अन्य विषयों की शिक्षा के लिए सक्षम बनाना होगा। इसी अनुरूप शिक्षक प्रशिक्षण की व्यवस्था और पाठ्यक्रम तैयार करने होंगे।  उन्होंने कहा कि सबकी रुचि के अनुसार सब को शिक्षा देने में प्रथम पांच वर्षों की शिक्षा व्यवस्था बहुत महत्वपूर्ण है। शिक्षा में शिक्षण कैसे होगा, क्या पढ़ाएंगे, प्रकृति कैसी होगी, हमारे भ्रमण कार्यक्रम कैसे होंगे, कुटीर उद्योग कैसे होंगे, ऐसे अनेक विषय कैसे शामिल होंगे, इस पर चिंता और चिंतन कर क्रियान्वयन की योजना बनानी होगी। 
 
उन्होंने नए भवन के लिए बधाई देते हुए कहा कि यह ईट-चूने से बनी इमारत नहीं है, विद्यार्थियों के भावी जिंदगी के निर्माण का केंद्र है। प्रयास किया जाए कि यहां का वातावरण, प्रवृत्ति ऐसी हो, जहां विद्यार्थी को जो चाहिए वह मिले, दुनिया भर की जानकारी, संस्कृति और हमारी परंपरा, जीवन मूल्यों के ज्ञान के साथ विद्यार्थी परिसर से बाहर जाए।  पटेल ने कहा कि हिंदी को वैश्विक मान्यता प्रदान करने के लिए चिकित्सा, तकनीक ज्ञान से समृद्ध किया जाए।
 
उसमें अहिंदी भाषी शब्दों का खुलकर इस्तेमाल हो। भारतीय परंपरा में विकसित लोक विद्या को उच्च शिक्षण संस्थाओं की व्यवसायिक शिक्षा में शामिल किया जाए। प्रदेश की सांस्कृतिक समृद्धि और विविधता वाले पर्यटन स्थलों के विषय में अच्छी पाठ्य सामग्री तैयार कराने में विश्वविद्यालय सहयोग करें। 
 
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