उमरिया। मधयप्रदेश की आदिम जाति कल्याण मंत्री सुमीना सिंह ने निर्देश दिए है कि प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में चल रहे विकास के कार्य नियत समय में पूरे किये जायें। निमार्ण कार्यो में लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। सुमीना ने आज यहाँ बेबिनार के माध्यम से भोपाल, नर्मदापुरम् और सागर संभाग के विभागीय अधिकारियों की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में चल रहे विकास के कार्य नियत समय में पूरे किये जायें।
उन्होंने उन निर्माण एजेन्सियों के खिलाफ सख्त कार्रवाही किये जाने के लिये कहा, जो निर्माण कार्यों को पूरा करने में लापरवाही बरत रहे हैं। उन्होंने विभाग की बस्ती विकास योजना के तहत सामुदायिक भवन एवं शालाओं में अतिरिक्त कक्षों के निर्माण कार्य प्राथमिकता से किए जाने की बात कहीं। उन्होंने बैठक में वनाधिकार, पट्टों के वितरण की भी समीक्षा की। बैठक में उन्होंने कहा कि विभागीय अधिकारी अपने जिलों में सजगता के साथ इसकी तैयारी शुरू करें।
विभाग के अनेक भवन कोविड-19 के लिये अधिग्रहित किये गये है। उन भवनों के उपयोग के पूर्व भवन और सामग्री को सेनेटाइज किया जाएं। उन्होंने आदिवासी क्षेत्रों में बच्चों को दूरदर्शन और आकाशवाणी, ऑनलाइन और अन्य डिजिटल मॉड्यूल के माध्यम से कराई जा रही अध्ययन व्यवस्था के बारे में जानकारी प्राप्त की। उन्होंने विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति एवं आवासीय सहायता की राशि बैंक खातों में बगैर विलंब के ट्रान्सफर किये जाने के भी निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि वनवासी सही मायनो में जल, जंगल और पर्यावरण के संरक्षक होते है। राज्य सरकार ने वनाधिकार अधिनियम में पूर्व में निरस्त वन भूमि के पट्टों की पुनरू समीक्षा किये जाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि विभागीय अधिकारी 15 सितम्बर तक पूर्व में काबिज वनवासियों को उनकी भूमि के पट्टे परीक्षण के बाद मान्य कराने में प्रभावी कार्यवाही करें। बैठक में बताया गया कि भोपाल संभाग में 9 हजार 200 निरस्त दावों में से 1592 दावों को परीक्षण के बाद मान्य किया गया है।
नर्मदापुरम् संभाग में 8 हजार 300 दावों मे से 656 दावें मान्य किये गये है। सागर संभाग में 16 हजार 800 दावों में से 2380 दावें जिला स्तर पर गठित समिति द्वारा मान्य किये गये है। इस अवसर पर प्रमुख सचिव आदिम जाति कल्याण श्रीमती पल्लवी गोविल ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि पूर्व में निरस्त दावों का डिजिटाइजेशन का कार्य जल्द पूरा किया जाएं। उन्होंने बताया कि प्रत्येक दावें के लिये 50 रूपये की राशि स्वीकृत की गयी है।
उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निरस्त वन भूमि पट्टों में दो बुजुर्गों की गवाही को आधार मानकर आवश्यक कार्यवाही करने को कहा। उन्होंने बताया कि पात्रता में सामाजिक एकीकरण और छात्रावासों की स्वीकृत सीटों पर शत् प्रतिशत प्रवेश हों। इसके लिये आदिवासी छात्रावासों में 70 प्रतिशत आदिवासी और अन्य 30 प्रतिशत सीटों पर अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग, घुम्मकड़, अर्द्धघुम्मकड़ वर्ग के बच्चों को प्रवेश दिये जाने की व्यवस्था की गयी है।