गुड़गांव। देश में यात्री वाहन निर्माता अग्रणी कम्पनी मारूति सुजूकी के यहां स्थित संयंत्र को सोनीपत जिले के खरखौदा क्षेत्र में चरणबद्ध तरीके से स्थानांतरित किए जाने की शंकाएं दिन-प्रतिदिन जोर पकड़ती जा रही हैं। शहरवासियों का भी कहना है कि मारूति के बदौलत ही गुड़गांव को विश्व में पहचान मिली थी। अब अगर यहां से इसका संयंत्र किसी और जगह जाता है तो गुड़गांववासियों के समक्ष रोजगार और अन्य समस्याएं खड़ी हो जाएंगी। मारुति में कलपुर्जे आपूर्ति करने वाली कम्पनियों की बड़ी संख्या है। इनमें कार्यरत कर्मचारी और श्रमिक गुड़गांव और आसपास ही किराए पर मकानों में रहते हैं। यदि कम्पनी कहीं और शिफ्ट हो जाती है तो मकान मालिकों को भी बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। हालांकि कोरोना के कारण गत डेढ़ वर्ष से अधिकांश किराए के मकान खाली ही पड़े हैं। उधर औद्योगिक एसोसिएशनों का भी कहना है कि ग्रामीण परिवेश वाले गुड़गांव जिले को साईबर सिटी, मिलेनियम सिटी और हाईटेक सिटी का खिताब दिलाने में मारुति सुजूकी का बड़ा योगदान है।
गुड़गांव उद्योग विहार एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रवीण यादव का कहना है कि जब मारुति का पहला संयंत्र गुड़गांव में स्थापित हुआ था तो उसी के बाद यहां ऑटोमोबाईल, रियल एस्टेट, होटल, आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स, फूड आदि क्षेत्रों की बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने भी गुड़गांव में अपने प्रतिष्ठान स्थापित किए थे। हरियाणा इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष किशन कपूर का कहना है कि गुड़गांववासियों की मारुति में एक प्रकार से आत्मा बसती है। इस कम्पनी के कारण ही आज का गुड़गांव विश्व में अपनी पहचान बना सका है। उनका कहना है कि गुड़गांव को प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहा जाता है। प्रदेश के कुल राजस्व में अकेले गुड़गांव की भागीदारी करीब आधी रहती है। मारुति को किसी दूसरे जिले में स्थानांतरित करने के वजाय इसे गुड़गांव में ही रहने दिया जाए।
उधर, इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष जे.एन. मंगला का कहना है कि मारुति का नया प्रस्तावित प्लांट खरखौदा के स्थान पर गुड़गांव में ही लगना चाहिए। यहां बेहतर औद्योगिक माहौल भी है। एनसीआर चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष एच.पी.यादव का कहना है कि यदि मारुति का नया संयंत्र लगाना ही है तो इसे गुड़गांव और धारुहेड़ा के बीच स्थापित किया जाए। क्योंकि इसी क्षेत्र में मारुति को कलपुर्जों की आपूर्ति करने वाली सैकड़ों छोटी-बड़ी कम्पनियां भी स्थित हैं। यदि मारूति का नया संयत्र खरखौदा जाता है तो मारुति के आपूर्तिकर्ताओं को दूसरे स्थान पर अपनी इकाईयां लगाने पर विचार करना होगा जो बेहद खर्चीला भी होगा। उनका यह भी कहना है कि यदि दूसरे जिले में यह संयंत्र स्थापित किया जाता है तो इससे गुड़गांव का काफी नुकसान भी होगा। एनसीआर क्षेत्र में मारुति के सैकड़ों आपूर्तिकर्ता हैं। इनका खर्चा भी बढ़ जाएगा। औद्योगिक क्षेत्र का ताना-बाना ही छिन्न-भिन्न होकर रह जाएगा। आईएमटी मानेसर इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के महासचिव मनोज त्यागी का कहना है कि यदि मारुति के संयंत्र को अन्यत्र स्थानांतरित किया जाता है तो ट्रांसपोटर, ट्रेवलर, होटल, रेस्त्रां, मकान मालिक और छोटे-बड़े सभी कारोबार भी इससे प्रभावित होंगे। गुड़गांव की औद्योगिक श्रंखला बुरी तरह से प्रभावित होगा। उत्पादों की लागत भी बढ़ जाएगी। हालांकि मारुति प्रबंधन ने अभी इस बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है। इतना अवश्य है कि उच्चाधिकारी गुड़गांव संयंत्र को अन्यत्र शिफ्ट करने के लिए चरणबद्ध तरीका अपनाएंगे।