नई दिल्ली। इस साल का पहला और इस सदी का दूसरा सबसे बड़ा सूर्यग्रहण लगा हुआ है। धार्मिक दृष्टि से यह सूर्य ग्रहण काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है इस सूर्य ग्रहण के समय ग्रह और नक्षत्रों का ऐसा संयोग 500 सालों बाद बना है। भारतीय समय के अनुसार यह सूर्यग्रहण सुबह 9:15 से शुरू होकर दोपहर 3:04 बजे तक रहेगा। यह सूर्य ग्रहण वलयाकार है। वलयाकार उस स्थिति को कहते हैं जब चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य को नहीं ढक पाता है। यानी चंद्रमा, सूर्य को इस प्रकार से ढकता है, कि सूर्य का केवल मध्य भाग ही छाया क्षेत्र में आता है और पृथ्वी से देखने पर चन्द्रमा द्वारा सूर्य पूरी तरह ढका दिखाई नहीं देता बल्कि सूर्य के बाहर का क्षेत्र प्रकाशित होने के कारण कंगन या वलय के रूप में चमकता दिखाई देता है।
सूर्य ग्रहण का समय
ग्रहण प्रारम्भ काल- 9:15
परमग्रास- 12:10
ग्रहण समाप्ति काल- 15:05
खण्डग्रास की अवधि: 03 घण्टे 28 मिनट्स 36 सेकण्ड्स
मान्यता के मुताबिक सूर्य ग्रहण के दौरान कुछ कामों की मनाही तो इस दौरान किए गए कुछ कामों को फलदायक माना गया है। सूर्य ग्रहण के दौरान दान पुण्य का फल अक्षय माना गया है। ऐसा कहा गया है कि जिस व्यक्ति को दान का फल मिलता है उसे जीवन में कभी किसी तरह का रोग नहीं होता है। शास्त्रों के मुताबिक सूर्य ग्रहण के दौरान किया गया दान राहु, केतु और शनि के गलत प्रभाव को भी सही करने की क्षमता रखता है।
सूर्यग्रहण के दौरान जरूर करें ये काम
सूतक के समय पूजा-पाठ नहीं करनी चाहिए। ग्रहण के समय मानसिक रूप से मंत्रों का जाप कर सकते हैं। जैसे राम नाम, ऊँ नम शिवाय, सीताराम, श्री गणेशाय नम: आदि मंत्रों का जाप कर सकते हैं। आप चाहे तो अपने इष्टदेव का ध्यान भी कर सकते हैं।
ग्रहण काल के समय भगवान का ध्यान करना चाहिए। ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम जप अवश्य करें।
भगवान के ध्यान के साथ ही मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए।
ग्रहण समाप्ति के बाद घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए।
सूतक काल के पहले तैयार भोजन को खाने से पहले उसमें तुलसी के पत्ते डालकर शुद्ध करें।
सूर्य ग्रहण लगने और खत्म होने के दौरान सूर्य मन्त्र 'ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ' के अलावा 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का धीमे-धीमे मगर शुद्ध जाप करें।
संयम के साथ जप-ध्यान करने से कई गुना फल होता है। ग्रहण काल के दौरान कमाया गया पुण्य अक्षय होता है। इसका पुण्य प्रताप अवश्य प्राप्त होता है।
ग्रहण खत्म होने के बाद घर की सफाई करनी चाहिए। घर में स्थापित देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को स्नान करना चाहिए। पूजा-पाठ करना चाहिए।
ग्रहण समाप्त हो जाने पर स्नान करके उचित व्यक्ति को दान करने का विधान है।
ग्रहण के बाद पुराना पानी और अन्न फेक देना चाहिए। नया भोजन पकाकर खाये और ताजा पानी भरकर पिए।
पूरा होने पर उसका शुद्ध बिम्ब देखकर ही भोजन करना चाहिए।
ग्रहण के बाद गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरत मंदों को वस्त्र दान देने से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।
ग्रहण के दौरान आपको धार्मिक ग्रंथों का पाठ करते हुए खुद को प्रसन्नचित अवस्था में रखना चाहिए।
रोग शांति के लिए ग्रहणकाल में आपको महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए। कांसे की कटोरी में घी भरकर उसमें चांदी का सिक्का डालकर अपना मुख देखकर छायापात्र मंत्र पढ़ें। उसके बाद ग्रहण समाप्ति होने पर वस्त्र , फल, और दक्षिणा सहित ब्राह्मण को दान करने से रोग मुक्त़ होते हैं।