नई दिल्ली। दुनियाभर में कोरोना वायरस का कहर बना हुआ हैं इसके चलते देश में लॉकडाउन किया गया हैं। कोरोना वायरस बहुत ही खतरनाक माना जा रहा हैं इससे आप तक कई लोगो की जान भी जा चुकी हैं वही इसके लिए सरकार ने कई सारे नियम भी बना दिए हैं वही ज्योतिष के मुताबिक सात्विक शक्तियां सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति कमजोर अवस्था में जब जब धर्म की हानि होती हैं प्रलय की स्थिति उत्पन्न हो जाती हैं वही ज्योतिष विज्ञान के नजरिए से कोरोना वायरस जैसे संकट तब उत्पन्न होते हैं जब प्रकृति की सात्विक शक्तियां सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति कमजोर अवस्था में गोचर कर रहे हो।
वही वर्तमान में जो गोचर चल रहा हैं उसके मुताबिक 13 अप्रैल तक समय दुनिया के लिए अधिक सावधान रहने की जरूरत हैं उसके बाद सूर्य दो सप्ताह के लिए स्थिति मं सुधार करेंगे। सूर्य की आभा को भी उसका कोरोना कहा जाता हैं इस कोरोना के चक्र की शुरुवात 26 दिसंबर के सूर्य ग्रहण से होती हैं जब सूर्य, चंद्र और बृहस्पति ये तीनों ग्रह बुध के साथ मूल नक्ष में राहु, केतु और शनि ग्रसित थे।
मूल का अर्थ जड़ होता हैं। आपको बता दें कि इसे गंडातंका नक्षत्र कहा जाता हैं जो प्रलय दर्शाता हैं इस पर देवी निरति का अधिपत्य होता हैं निरति का संबंध धर्म के अभाव से माना जाता हैं इनका जन्म समुद्र मंथन में कालकूट विष से हुआ था। इन्हें अलक्ष्मी भी कहते हैं। ये विध्वंस की देवी और इनकी दिशा दक्षिण पश्चिम मानी जाती हैं। वही भारत के भी दक्षिण पश्चिमी राज्यों में इनका प्रकोप दिख रहा हैं उक्त सूर्य ग्रह के ठीक 14 दिन बाज चंद्रग्रहण भी पड़ रहा हैं ये सभी ग्रह फिर से राहु, केतु और शनि से पीड़ित हुए हैं।