हमीरपुर। उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में गुरुवार को ऐतिहासिक सरीला नगरी में पुरानी परम्परा के तहत मंदिर के पास गाड़े गए पत्थर को उखाड़कर दिवाली खेली गई। क्षेत्र में दिन भर दिवाली नृत्य होता रहा। दिवाली नृत्य का समापन भी दूज पूजा के बाद होगा।
जिले के सरीला कस्बे में पत्थर उखाड़ने के बाद दिवाली खेलने की परम्परा कायम है। दशहरे के दिन सरीला कस्बे के मांझखोर मुहाल में मंदिर के पास एक छोटा पत्थर गाड़ा गया था जिसे दीपावली की देर रात उखाड़कर दिवाली खेलने का आगाज किया गया। गुरुवार को दिन भर दिवाली नृत्य का आयोजन होता रहा। यहां के गंगा प्रसाद यादव ने बताया कि यादव समाज के दिवाली नृत्य की टोलियों ने पहले पत्थर उखाड़ा फिर उसे साथ लेकर पूरे कस्बे में दिवाली खेली गयी है। यह परम्परा ऐतिहासिक है जो अभी भी कायम है।
मौनियों ने कस्बे में हजारों साल पुराने सल्लेश्वर बड़ी माता मन्दिर, कालिका देवी मन्दिर तथा सरीला से जुड़ा करयारी में प्राचीन मंदिर पहाड़ी तालाब के हनुमान जी मंदिर पर मौन चराते हुये दिवाली खेली है। मौन चराने वालों ने सरीला कस्बे के सभी इलाकों में घूम-घूम कर दिवाली नृत्य किया है। मंदिरों में दिन भर पूजा अर्चना और भजन कीर्तन का आयोजन भी होता रहा। शाम को दिवाली नृत्य की टोलियों को पुरस्कृत भी किया गया है। बताते है कि शुक्रवार को दूज पूजा के बाद यहां दिवाली नृत्य का कार्यक्रम सम्पन्न होगा।