इटावा। रामायण के एक पात्र रावण को भले ही खलनायक माना जाता है लेकिन उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के जसवंतनगर में उसकी न केवल पूजा की जाती है बल्कि पूरे शहर भर मे आरती उतारी जाती है। इतना ही नही रावण के पुतले को जलाया नही जाता है। यूनेस्को की ओर से वर्ष 2010 में जारी की गई रिपोर्ट में भी जसवंतनगर की इस रामलीला को जगह दी जा चुकी है।
माना यह जाता है कि दुनिया भर मे जहां जहां रामलीलाए होती है इस तरह की रामलीला कही भर भी नही होती है। 163 साल से अधिक का समय बीच गया है। इस रामलीला का आयोजन दक्षिण भारतीय तर्ज पर मुखोटों को लगाकर खुले मैदान मे किया जाता है।
त्रिडिनाड की शोधार्थी इंद्रानी बैनर्जी करीब 400 से अधिक रामलीलाओ पर शोध कर चुकी है लेकिन उन्हे जसवंतनगर में खेली जाने वाली रामलीला कही पर भी देखने को नही मिली है। जसवंतनगर मे जहां पर रामलीला होती है वह इलाके उत्तर प्रदेश के समाजवादियो को गढ माना है। समाजवादी सेक्युलर मोर्चे के नेता शिवपाल सिंह यादव यहा से विधायक है। शिवपाल सिंह यादव दशहरा समारोह में लंबे अर्से से शामिल होते आ रहे है। जहा मंच के बजाय खुले मैदान मे रामलीला होती है।