इटावा। दुनिया में इकलौता पांच नदियों का संगम की हकीकत जितनी हैरान कर देने वाली है उतनी ही इस संगम की उपेक्षा भी चिंता में डाल देने वाली है। दरअसल पांच नदियों का यह संगम उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश की सीमा पर बसे इटावा जिले में स्थित प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर चंबल के बीहड़ों में मौजूद है।
पांच नदियों का यह संगम उत्तर प्रदेश में इटावा जिला मुख्यालय से 70 किमी दूर बिठौली गांव में है जहां पर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान राज्य के लाखों की तादाद में श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगता है । सारे विश्व में इटावा का पंचनद ही एक स्थल है, जहां पर पां नदियों का संगम है, ये नदियां हैं यमुना, चंबल, क्वारी, सिंध और पहुज हैं।
दुनिया में दो नदियों के संगम तो कई स्थानों पर हैं जबकि तीन नदियों के दुर्लभ संगम प्रयागराज, इलाहबाद को धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण समझा जाता है लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि पांच नदियों के इस संगम स्थल को त्रिवेणी जैसा धार्मिक महत्व नहीं मिल पाया है । प्रयाग का त्रिवेणी संगम पूर्णतः धार्मिक मान्यता पर आधारित है क्यों कि धर्मग्रन्थों में वहां पर गंगा, यमुना के अलावा अदृश्य सरस्वती नदी को भी स्वीकारा गया है, यह माना जाता है कि कभी सतह पर बहने वाली सरस्वती नदी अब भूमिगत हो चली है। बहराहल तीसरी काल्पनिक नदी को मान्यता देते हुये त्रिवेणी संगम का जितना महत्व है उतना साक्षात पांच नदियों के संगम को प्राप्त नहीं हैं।
खूखांर डाकुओ की शरणस्थली चंबल घाटी मे दुनिया का इकलौता पांच नदियो का संगम स्थल है लेकिन अर्से से सरकारी उपेक्षा का शिकार पंचनदा को देश का सबसे बडा पर्यटन केंद्र बनवाने के लिये चंबल के वाशिंदे अर्से से राजनेताओं से लगातार गुहार लगाते रहे हैं। उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी अनसूचित जाति जनजाति प्रकोष्ठ के पूर्व उपाध्यक्ष भूपेंद्र कुमार दिवाकर पंचनदा को पर्यटक स्थल बनाने की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग करते हुए कहते हैं कि इस इलाके का वैसे तो बहुत ही महत्व है लेकिन खूंखा डाकुओ के प्रभाव के कारण अभी तक सरकारों की ओर से इस ओर कोई ध्यान नही दिया गया है। इसी वजह से इस दुर्गम इलाके के लोग मूल विकास से अब तब वंचित रहे हैं।