छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा जिले में हैरान करने वाला मामला देखने को मिला। परासिया के मोआरी में रविवार को रोड एक्सीडेंट में गंभीर घायल युवक हिमांशु को छिंदवाड़ा और नागपुर के डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। छिंदवाड़ा के जिला अस्पताल में उसका शव रातभर मुर्दाघर में रखा रहा। सोमवार की सुबह जब उसकी बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया तो वह जिंदा मिला।
जैसे ही उसका पोस्टमार्टम करने के लिए स्वीपर ने ब्लेड उठाई तो युवक ने उसका हाथ पकड़ लिया। इसके बाद हंगामा मच गया, परिजनों ने फौरन युवक को फिर से अस्पताल में भर्ती कराया। वहां उसका उपचार किया गया, इसके बाद नागपुर रेफर कर दिया गया है। खबर मिलने के बाद जिला अस्पताल में लोगों की भीड़ जुट गई और लोग डॉक्टरों के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। युवक हिमांशु छिंदवाड़ा की प्रोफेसर कॉलोनी का रहनेवाला है।
एक्सीडेंट के बाद का घटनाक्रम
रविवार को परासिया के मोआरी में हिमांशु कार दुर्घटना में गंभीर रुप से घायल हो गया। उसको इलाज के लिए छिंदवाड़ा के सरकारी अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। परिजनों को विश्वास नहीं हुआ कि उनका बेटा अब इस दुनिया में नहीं है तो वे उसे नागपुर के न्यूरॉन हॉस्पिटल में ले गए। वहां भी डॉक्टरों ने हिमांशु को मृत घोषित करते हुए शव को वापस छिंदवाड़ा भेज दिया। छिंदवाड़ा अस्पताल में शव को रविवार को रातभर मुर्दाघर में रखा गया। हिमांशु के जिंदा होने को उसके परिजन चिकित्सकों की लापरवाही के साथ-साथ चमत्कार भी मान रहे हैं।
हक्के-बक्के रह गए डॉक्टर
मृत युवक के जिंदा होने से पोस्टमार्टम रूम में मौजूद डॉक्टर हक्के-बक्के रह गए लेकिन फिर डॉक्टरों ने तुरंत युवक को वार्ड में ले जाने को कहा। जांच में सामने आया कि युवक की सांसे धीमी-धीमी चल रही थीं। तत्काल उसका इलाज शुरू किया गया। कुछ देर में युवक की सांस बेहतर चलने लगी। स्थिति संभलने पर उसे एक बार फिर बेहतर इलाज के लिए नागपुर अस्पताल रेफर कर दिया गया।
डाक्टरों की लापरवाही
इस घटना ने छिंदवाड़ा जिला अस्पताल और नागपुर के न्यूरॉन हॉस्पिटल में काम कर रहे डॉक्टरों की लापरवाही भी उजागर कर दी है। जब डॉक्टरों ने परिजनों को कहा था कि हिमांशु की मौत हो गई है, तभी से उनका रो-रोकर बुरा हाल हो गया था, लेकिन जब युवक जिंदा हो गया तो परिजनों की खुशी वापस लौट आई। हालांकि युवक को मृत घोषित करने को लेकर परिजनों में आक्रोश भी है। हिमांशु छिंदवाड़ा जिले के जुन्नारदेव विकासखंड में बैंक आॅफ इंडिया हिंगलाज मंदिर शाखा में मैनेजर रामेश्वर सिंह भारद्वाज का बेटा है।
इसलिए मृत घोषित किया
मरीज का रेशप्रेरेशन और पल्स नहीं चलने के कारण ब्रेन डेड मानकर मृत घोषित किया गया। इस स्थिति में मरीज का हार्ट और ब्रेन काम नहीं करता है इसलिए डॉक्टर ने मरीज को मृत घोषित किया था।
-डॉ. सीएम गेडाम, प्रभारी सिविल सर्जन, छिंदवाड़ा
लाखों में से एक मामला
परिजन के कहने पर गाड़ी में ही मरीज की पल्स जांच की गई, उस समय पल्स रेशप्रेरेशन नहीं चलने पर मरीज को मृत घोषित किया गया था। हालांकि लाखों में से एकाध मामले में मरीज की पल्स लौट आती है, इस मरीज के साथ ऐसा ही हुआ है।
-डॉ. दिनेश ठाकुर, चिकित्सा अधिकारी छिंदवाड़ा