डूंगरपुर। प्रकृति से भरपूर दक्षिणी राजस्थान के बांसवाड़ा जिले का वागड़ अंचल खूबसूरती की मूरत के तौर पर जाना जाता है। इस अंचल को तितलियों की सौ से अधिक प्रजातियां और भी खास बनाती हैं।
पिछले 12 सालों से तितलियों पर शोध कर रहे मुकेश पंवार अब तक यहां 75 से अधिक तितलियों की प्रजातियों के जीवन चक्र को क्लिक कर चुके हैं। मुकेश बताते हैं कि राजस्थान में लगभग 150 से अधिक प्रजातियों की तितलियां विद्यमान है और इसमें से 100 से अधिक प्रजातियां वागड़ अंचल के दोनों जिलों में समान रूप से पाई जाती हैं। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र की आबोहवा प्रदूषणमुक्त है और यही कारण है कि यह पक्षियों के साथ-साथ तितलियों को भी रास आती है। उनका तो यह भी कहना है कि तितलियों और अन्य कीट पतंगों के कारण भी प्रवासी व स्थानीय पक्षी वागड़ अंचल में ज्यादा पाए जाते हैं।
वागड़ अंचल की स्थानीय वनस्पति तितलियों को बेहद रास आती है और इसके साथ ही कई प्रजातियों की तितलियां अन्य प्रदेशों से भी यहां पर प्रवास पर आती हैं। वागड़ अंचल में सर्वाधिक पाई जाने वाली प्रजातियों में कॉमन ग्रास यलो, स्पोटलेस ग्रास यलो, लेसर ग्रास ब्लू, डार्क ग्रास ब्लू, कॉमन इमीग्रांट, मोटल्ड इमीग्रांट, लाईम, कॉमन रोज, प्लेन टाईगर, लेमन पन्सी, ब्लू पन्सी, पिकॉक पन्सी, ग्रे पन्सी, यलो पन्सी मिलती है , वहीं पियोनियर कॉमन गल और पियेरोट, ग्राम ब्लू, आदि प्रजातियों की तितलियां सर्वाधिक मात्रा में पाई जाती हैं।