पेरिस। एक समय था जब मुर्गे की बांग सुनकर ही लोगों की सुबह हुआ करती थी लेकिन कई महीने से फ्रांस में मुर्गे के बोलने को लेकर बड़ी बहस चल रही थी। आखिरकार जीत मुर्गे की ही हुई और कोर्ट ने भी कह दिया कि ‘मुर्गे को अपने सुर में गाने’ का पूरा अधिकार है। दरअसल मुर्गे के बोलने पर उसके मालिक क्रोनी के पड़ोसी को ऐतराज था और इसलिए मामला कोर्ट तक खिंच गया। केस कोर्ट में जाने के बाद यह राष्ट्रीय स्तर की बहस बन गई। मुर्गा फ्रांस का राष्ट्रीय प्रतीक भी है। मुर्गे की बांग को लेकर शहरी और ग्रामीण लोग बंट गए। शहरी लोगों का कहना था कि मुर्गे के सुबह-सुबह बोलने से उनकी नींद में खलल पड़ता है। पड़ोसी ने ध्वनि प्रदूषण का भी दावा किया था। वहीं ग्रामीणों को इस पर कोई ऐतराज नहीं था। आखिरकार गुरुवार को कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया और कहा कि इस पक्षी का बोलना इसका अधिकार है।