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बदल जाएगा किलोग्राम तौलने का तरीका, पूरी दुनिया राजी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Nov 18 2018 10:48AM | Updated Date: Nov 18 2018 10:48AM
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वॉशिंगटन। किलोग्राम मापने का तरीका बदल गया है। अभी तक इसे प्लैटिनम-इरिडियम के अलॉय से बने जिस सिलेंडर से मापा जाता था, उसे रिटायर कर दिया गया है। साल 1889 से इसी को माप माना जाता था। हालांकि अब वैज्ञानिक माप के जरिए किलोग्राम तय होगा। इस बारे में पेरिस में हुई दुनियाभर के वैज्ञानिकों की मीटिंग में एकमत से फैसला किया गया है। हालांकि माप का तरीका बदलने से मार्केट में होने वाले माप में फर्क नहीं पड़ेगा। 
 
20 मई से नई परिभाषा लागू हो जाएगी। किलोग्राम को एक बेहद छोटे मगर अचल भार के जरिए परिभाषित किया जाएगा। इसके लिए प्लैंक कॉन्स्टेंट का इस्तेमाल किया जाएगा। नई परिभाषा के लिए वजन मापने का काम किब्बल नाम का एक तराजू करेगा। अब इसका आधार प्लेटिनम इरीडियम का सिलिंडर नहीं होगा। इसकी जगह यह प्लैंक कॉन्स्टेंट के आधार पर तय किया जाएगा। क्वांटम फिजिक्स में प्लैंक कॉन्स्टेंट को ऊर्जा और फोटॉन जैसे कणों की आवृत्ति के बीच संबंध से तैयार किया जाता है।
 
दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने किलोग्राम बाट बदलने के पक्ष में किया मतदान16 नवंबर, 2018 को दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने वजन तौलने वाले किलोग्राम के बाट को बदलने के लिए वोट किया। बहुमत बदलाव के पक्ष में है। इसके बाद आप किलोग्राम के बाट को तौलने का तरीका बदल गया है। जानें अब कैसे किलोग्राम के बाट को तौला जाएगा। 
 
पहले दुनियाभर के किलोग्राम का वजन तय करने के लिए सिलेंडर के आकार के एक 'बाट' का इस्तेमाल किया जाता था। यानी उसका वजन जितना होता था, उतना ही किलोग्राम का स्टैंडर्ड वजन होता। यह सिलेंडर प्लेटिनियम और इरिडियम से बना था जिसे इंटरनेशनल प्रोटोकोल किलोग्राम के नाम से जाना जाता है और इसका उपनाम ले ग्रैंड के है। यह फ्रांस के सेवरे शहर की एक लैबोरेटरी इंटरनेशनल ब्यूरो आॅफ वेट्स एंड मीजर्स में रखा है। 30 या 40 साल में एक बार इस प्रोटोटाइप को निकाला जाता था। फिर दुनियाभर में वजन के लिए इस्तेमाल होने वाले किलोग्राम के बाट को लाकर इसके मुकाबले तौला जाता था।
 
बाट की पैमाइश के लिए किसी चीज का इस्तेमाल न हो 
वैज्ञानिक चाहते थे कि किलोग्राम के बाट की पैमाइश के लिए किसी चीज का इस्तेमाल न हो जैसा कि अभी तक होता था। इसकी जगह वे भौतिकी में इस्तेमाल होने वाले प्लैंक के स्थिरांक को पैमाना बनाना चाहते था। जिस तरह दूरी की पैमाइश के लिए मीटर को स्टैंडर्ड इकाई निर्धारित किया गया, उसी तरह किलोग्राम निर्धारित करने के बारे में भी सोचा जा रहा है। फिलहाल मीटर प्रकाश द्वारा एक सेकंड के 300वें मिलियन में तय की गई दूरी के बराबर है। अब बहुमत के बदलाव के पक्ष में वोट करने से किलोग्राम को निर्धारित करने के लिए प्लैंक के स्थिरांक का इस्तेमाल किया जाएगा।
 
यह था पुराना सिस्टम
किलोग्राम को मापने के पुराने सिस्टम में किलो का वजन गोल्फ की गेंद के आकार की प्लेटिनिम इरिडियम की गेंद के सटीक वजन के समान होता है। यह गेंद कांच के जार में पेरिस के पास वर्साय की आॅर्नेट बिल्डिंग की सेफ में रखी हुई है। इस सेफ तक पहुंचने के लिए उन तीन लोगों की जरूरत होती है, जिनके पास तीन अलग अलग चाभियां हैं। ये तीनों लोग तीन अलग-अलग देशों में रहते हैं। इन चाभियों की मदद से ही इस सेफ को खोला जा सकता है। इसकी निगरानी इंटरनेशनल ब्यूरो आॅफ वेट्स एंड मेजर्स करती है। 
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