संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र (संरा) ने पाकिस्तान के उस दावे को खारिज कर दिया है कि जिसमें उसने पाकिस्तानी अधिवक्ता को ईशनिंदा दोषी ईसाई महिला की सफलतापूर्वक रिहाई करवाने के बाद उसे देश छोड़ने के लिए मजबूर किया। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा 31 अक्टूबर को आशिया बीबी की सजा को पलटने के बाद पाकिस्तान में कट्टर इस्लामियों ने आशिया बीबी को सजा की बरकरार रखने मांग करने लगे, इस दौरान विरोध प्रदर्शन के बीच वकील सैफुल मुलूक नीदरलैंड चले गए।
तहरीक-ए-लब्बैक(टीएलपी) ने सरकार के साथ समझौते के बाद विरोध प्रदर्शन को समाप्त कर दिया लेकिन पश्चिमी देशों और मानव अधिकार समूहों ने इसकी आलोचना की। पाकिस्तान की सरकार ने तीन नवंबर को यह इंगित किया कि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा आशिया बीबी को बरी किये जाने के फैसले को लेकर लंबित 'पुनर्विचार' के निपटान तक उन्हें देश से बाहर जाने पर रोक लगी है।
रेडियो फ्री यूरोप की रिपोर्ट के अनुसार मुलूक ने पांच नवंबर को हेग में एक संवाददाताओं से कहा 'उन्हें अपनी इच्छाओं के खिलाफ विमान बैठाया गया।' उन्होंने तब तक देश छोड़ने से इन्कार किया था जब तक उनकी मुवक्किल जेल से बाहर नहीं आ जाती।
संरा के प्रवक्ता एरी कानेको ने मंगलवार को कहा कि पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र ने उनके अनुरोध पर मुलूक को सहायता प्रदान की और उन्हें उनकी इच्छाओं के खिलाफ देश छोड़ने के लिए मजबूर नहीं किया गया। उन्होंने कहा ना ही संयुक्त राष्ट्र किसी को उसकी इच्छा के विरुद्ध पाकिस्तान छोड़ने को मजबूर कर सकता है।