इस्लामाबाद। पाकिस्तान में सर्वोच्च न्यायालय के सलाहकार एवं वरिष्ठ वकील मखदूम अली खान ने सुझाव दिया है कि पहचान वाले दस्तावेजों पर पिता का नाम प्रदर्शित करना जरूरी नहीं है, बशर्ते इस तरह की जानकारी आधिकारिक रिकॉर्डों तथा डेटाबेसों में उपलब्ध हो। एक रिपोर्ट के अनुसार खान ने कहा, मौजूदा समय में पहचान के दस्तावेज और डेटाबेस कम्प्यूटरीकृत हैं और राष्ट्रीय डाटाबेस और पंजीकरण प्राधिकरण (एनएडीआरए) की ओर से जारी एकीकृत नैदानिक सिस्टम का नेटवर्क (सीएनआईसी) के वकालत और अनुसंधान केंद्र (सीएफएआर) नेटवर्क में माइक्रोचिप है। उन्होंने कहा कि पासपोर्ट महानिदेशालय की ओर से जारी किया गया पासपोर्ट भी माइक्रोचिप है।
बाइस वर्षीय युवती द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा, पाकिस्तान सहित पूरी दुनियाभर में अधिकतर हवाई अड्डों पर लोगों की पहचान अंगूठे के निशान, चेहरा पहचानने वाली तकनीक तथा रेटिना स्केन के जरिए होती है। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान में 22 वर्षीय युवती ने सर्वोच्च न्यायालय में अर्जी दायर कर पासपोर्ट तथा पहचान वाले दस्तावेजों से अपने पिता के नाम को हटाने की गुजारिश की है। उसकी दलील है कि उसके पिता ने उसे बचपन में ही छोड़ दिया था और उसकी परवरिश में उसका कोई योगदान नहीं है। अदालत ने इस मामले को गृह मंत्रालय के पास भेज दिया।