रियाद। जर्नलिस्ट जमाल खाशोगी (59) मामले में सच्चाई छिपाने पर सऊदी अरब की दुनियाभर में आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। इस बीच सऊदी के एक सीनियर अफसर ने खुलासा किया है कि 2 अक्टूबर को जब खाशोगी इस्तांबुल स्थित सऊदी अरब दूतावास में आए तो सऊदी के 15 लोगों की टीम ने उन्हें धमकाया। उन्हें अगवा कर लिया। जब खाशोगी ने इसका प्रतिरोध किया तो उन्हें गला दबाकर मार डाला। इसके बाद एक व्यक्ति खाशोगी के कपड़े पहनकर बाहर निकला ताकि लोगों को यकीन हो जाए कि वह दूतावास से निकल गए।
दस्तावेज लेने आए थे खाशोगी
तुर्की अफसरों ने दावा किया था कि खाशोगी तुर्की में रहने वाली अपनी मंगेतर हेटिस सेंगीज से निकाह करना चाहते थे। इसकी अनुमति के लिए वे 2 अक्टूबर को दस्तावेज लेने इस्तांबुल स्थित सऊदी अरब के दूतावास गए थे, लेकिन वहां से नहीं लौटे। सऊदी अरब के नागरिक रहे खाशोगी वॉशिंगटन पोस्ट के लिए लिखते थे। उनके सऊदी के शाही परिवार से अच्छे रिश्ते थे, लेकिन बीते कुछ महीनों से वे प्रिंस सलमान के खिलाफ लिख रहे थे। यह सऊदी अरब को नागवार गुजरा। इसी वजह से इस्तांबुल के दूतावास में उनके साथ मारपीट की गई। 1980 के दशक में खाशोगी ने ओसामा बिन लादेन का इंटरव्यू भी लिया था।
हाथापाई के दौरान मौत
सऊदी अरब की सरकार ने शनिवार को पहली बार कबूला था कि इस्तांबुल स्थित सऊदी दूतावास में हाथापाई के दौरान खाशोगी की मौत हो गई थी। इसके एक घंटे बाद एक अन्य सऊदी अफसर ने कहा था कि खागोशी की गला दबाकर हत्या की गई। रविवार को सऊदी अफसर ने सबूत के तौर पर खुफिया दस्तावेज भी पेश किए, जिसमें खाशोगी जैसे विशिष्ट व्यक्ति को वापस लाने से संबंधित थे। अफसर ने 15 व्यक्तियों की टीम की गवाही और आंतरिक जांच के शुरुआती नतीजे भी दिखाए। हालांकि अफसर ने जांच के निष्कर्षों और अन्य सबूतों को साबित करने के लिए कोई सर्टिफिकेट नहीं दिया।