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तीन दिवसीय 11वां विश्व हिन्दी सम्मेलन शनिवार से हुआ शुरू

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 19 2018 12:48PM | Updated Date: Aug 19 2018 12:49PM
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नई दिल्‍ली। हिन्दी के संवर्द्धन, संरक्षण और उसके विकास के संकल्प के साथ तीन दिवसीय 11वां विश्व हिन्दी सम्मेलन शनिवार से शुरू हो गया है। मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रवीण कुमार जगन्नाथ ने उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा, 'पूरी दुनिया में 50 करोड़ से अधिक हिन्दी बोलने वालों की संख्या को देखते हुए हम विश्वास के साथ कह सकते हैं कि हिन्दी के लिए वह दिन दूर नहीं जब संयुक्त राष्ट्र संघ में उसे आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता मिलेगी।
 
वैसे भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के बढ़ते राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक महत्व को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि हिन्दी का भी अंतरराष्ट्रीय महत्व बढ़ रहा है। जगन्नाथ ने कहा कि इसी वर्ष की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्विट्जरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक सम्मेलन का उद्घाषण भाषण हिन्दी में दिया था। उनका संदेश हिन्दी के लिए गर्व की बात है और भाषा की मान्यता को भी प्रमाण करता है।
 
हिन्दी की शुद्धता को बरकरार रखने की जरूरत
इस मौके पर भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि यह सम्मेलन हिन्दी के संवर्द्धन, संरक्षण और उसे बचाने पर केन्द्रित है। आज जरूरत हिन्दी पढ़ने, बोलने और भाषा की शुद्धता को बरकरार रखने की है। पहले यह सम्मेलन साहित्य और साहित्यकारों पर केन्द्रित होता था लेकिन उन्होंने महसूस किया कि यदि भाषा बचायी नहीं गई तो साहित्य को कौन पढ़ेगा। उन्होंने कहा कि इस कार्य में भारत की जिम्मेवारी ज्यादा है और वह उसे निभा भी रहा है। उन्होंने कहा कि भाषा के साथ संस्कृति का गौरव भी जरूरी है इसलिए इस सम्मेलन का मुख्य विषय 'हिन्दी विश्व और भारतीय संस्कृति' रखा गया है। विदेश मंत्री ने कहा कि वर्ष 1975 में जब पहला विश्व हिन्दी सम्मेलन आयोजित हुआ था और उस समय से ही दो अनुशंसाएं हर बार होती थीं कि विश्व हिन्दी सचिवालय की स्थापना हो और संरा संघ में हिन्दी को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता मिले। विश्व हिन्दी सचिवालय की स्थापना हो चुकी है और अब यह सुचारू रूप से काम भी कर रहा है।
 
हिन्दी एक सांस्कृतिक धरोहर
मॉरिशस के प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत बहुसंस्कृति में विश्वास रखता है। भारतीय भाषाएं विशेष रूप से हिन्दी भारत और मॉरिशस की संस्कृति एवं मूल्यों से जुड़ा हुई है। हिन्दी कई संस्कृति और कई भाषाओं से मिलती-जुलती है। हिन्दी एक सांस्कृतिक धरोहर है और यह एक समृद्ध इतिहास वाली भाषा ही नहीं बल्कि इसका भविष्य भी उज्ज्वल है। उन्होंने कहा कि यदि हमें हिन्दी के भविष्य को लेकर तनिक भी संदेह है तो दुनिया में चारों ओर देखना चाहिए। इस सभागार में दुनिया के अलग-अलग हिस्से से आये हिन्दी के विद्वानों का उत्साह, उमंग और आस्था इसके उज्ज्वल भविष्य का प्रमाण है। आज दुनिया के 40 देशों के 600 विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जा रही है।
 
129 देशों का चाहिए समर्थन
विदेश मंत्री स्वराज ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी को दर्जा दिलाने के लिए 129 देशों का समर्थन चाहिए। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के प्रस्ताव के पक्ष में 170 से अधिक देशों का समर्थन जुटाने वाले देश के लिए ऐसा करना कठिन भी नहीं है लेकिन इसमें सबसे बड़ी बाधा है यूएन का कानून जिसके तहत इसके कारण पड़ने वाले व्यय का भार सभी समर्थन करने वाले देशों के बीच में बांटा जाना है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार इसका पूरा व्यय वहन करने को तैयार भी है लेकिन संयुक्त राष्ट्र का कानून इसकी भी इजाजत नहीं देता है। जापान और जर्मनी ने भी अपनी भाषा के लिए कोशिश की थी लेकिन उन्हें भी कामयाबी नहीं मिली है।
 
हिन्दी भाषा की रेटिंग बढ़ाने की अपील
विदेश मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र से हर शुक्रवार को हिन्दी में समाचार पढ़ा जाता है। यदि इस समाचार को पूरे विश्व में लोग सुनने और देखने लगेंगे तब उसके आधार पर उसकी रेटिंग तय होगी। उस रेटिंग के आधार पर इस साप्ताहिक अवधि कम की जायेगी और संभव है कि हर दिन यूएन से हिंदी में समाचार पढ़ा जाने लगे। यूएन ने हिन्दी में ट्विटर एकाउंट भी खोला है जिसमें लोग सुझाव या टिप्पणी कर सकते हैं। 
 
भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी को दी श्रद्धांजलि
इससे पूर्व समारोह की शुरुआत में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री एवं हिन्दी के नायक अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित की गयी और उनकी आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा गया। उद्घाटन सत्र के बाद कार्यक्रम स्थल पर ही श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। उद्घाटन सत्र को मॉरिशस की शिक्षा मंत्री लीला देवी दूकन लछूमन ने भी संबोधित किया। इस मौके पर मॉरिशस के मार्गदर्शक मंत्री सर अनिरुद्ध जगन्नाथ, केन्द्रीय विदेश राज्य मंत्री जेनरल वी. के. सिंह, गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी, गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा समेत अन्य गणमान्य उपस्थित थे।
 
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